इससे पहले 13 आरोपियों ने बेगुनाह बताते हुए एडीजे प्रथम की कोर्ट में अर्जी दी थी लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया था। आशीष मिश्रा को 9 अक्टूबर को यूपी के लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने इस साल 15 जुलाई को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
आशीष को बीते साल 9 अक्टूबर को भारी दबाव के बाद ही गिरफ्तार किया जा सका था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी बेहद सख़्त टिप्पणी कर चुका था। लेकिन फरवरी में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष को जमानत दे दी थी।
आशीष की जमानत के खिलाफ लखीमपुर हिंसा के पीड़ित परिवारों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेहद अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि पीड़ितों को सुनने से इनकार कर दिया गया और हाई कोर्ट ने जल्दबाजी दिखाई जिस वजह से जमानत दिए जाने के आदेश को रद्द किया जाता है। इसके बाद आशीष मिश्रा ने 24 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में एक स्थानीय अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। इसके बाद उसे वापस लखीमपुर जेल में भेज दिया गया।
अपनी राय बतायें