कृषि क़ानूनों के मसले पर केंद्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। यह बैठक नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में हुई। बातचीत के दौरान सरकार ने कृषि क़ानूनों में संशोधन की बात कही जबकि किसानों ने फिर कहा कि उन्हें संशोधन नहीं चाहिए, बल्कि उनकी मांग क़ानूनों को रद्द करने की है। अगली बैठक 15 जनवरी को दिन में 12 बजे होगी।
बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल, कृषि विभाग के अफ़सर सहित 40 किसान संगठनों के नेता मौजूद रहे। किसानों ने बातचीत से पहले ही साफ़ कर दिया था कि वे कृषि क़ानूनों को रद्द करने और एमएसपी की क़ानूनी गारंटी देने पर ही बात करेंगे।
कोई और विकल्प दें किसान: सरकार
बैठक के बाद कृषि मंत्री तोमर ने कहा, ‘तीनों क़ानूनों को लेकर चर्चा हुई और सरकार का यह आग्रह रहा कि किसान संगठन क़ानूनों को रद्द करने के अतिरिक्त कोई विकल्प दें तो सरकार उस पर विचार करेगी लेकिन चर्चा के बाद भी विकल्प नहीं आ सका।’ उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि किसान नेता अगली बैठक में कोई विकल्प लेकर आएंगे।
तोमर ने आगे कहा, देश भर में बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो क़ानूनों का समर्थन कर रहे हैं और जो चाहते हैं कि क़ानून निरस्त हों उनके साथ सरकार बातचीत कर रही है। फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट पर छोड़े जाने की चर्चा पर तोमर ने कहा, ‘हम लोकतांत्रिक देश हैं और लोकसभा और राज्यसभा से पास हुए किसी क़ानून के विश्लेषण का सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है और कोर्ट में इस मामले में 11 जनवरी को सुनवाई होनी है।’ यह भी ख़बर सामने आई कि बैठक के दौरान किसान नेताओं ने मौन धारण कर लिया।
इंडिया टुडे के मुताबिक़, बैठक में सरकार ने कहा कि वह क़ानूनों को वापस नहीं ले सकती और नहीं लेगी। सरकार ने किसानों से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का इंतजार करने की बात कही। सरकार ने कहा कि अगर शीर्ष अदालत यह कहती है कि कृषि क़ानून अवैध हैं तो हम इन्हें वापस ले लेंगे लेकिन अगर अदालत कुछ और फ़ैसला देती है तो किसानों को अपना आंदोलन ख़त्म करना होगा।
अड़ गए किसान
इंडिया टुडे के मुताबिक़, बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसानों से कहा कि कृषि क़ानून पूरे देश के लिए बनाए गए हैं न कि किसी एक राज्य के लिए क्योंकि बाक़ी जगहों पर इन क़ानूनों को समर्थन मिल रहा है, ऐसे में किसान नेताओं को आंदोलन को समाप्त कर देना चाहिए। लेकिन किसानों ने फिर वही बात कही कि उन्हें कृषि क़ानूनों के रद्द होने से कम पर कुछ भी मंजूर नहीं है।
ट्रैक्टर रैली निकालकर दिखाया दम
सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों ने अपने आंदोलन को तेज़ कर दिया है। गुरूवार को किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस वे पर ट्रैक्टर रैली निकालकर केंद्र सरकार को अपनी ताक़त और एकजुटता का अहसास कराया। यह रैली 26 जनवरी को होने वाली किसान ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल के तौर पर निकाली गई। किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौक़े पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने का एलान किया है। इससे सरकार ख़ासी परेशान है।
इस बीच, भयंकर ठंड और बारिश के बावजूद किसानों के हौसले डिगे नहीं हैं और सिंघु से लेकर टिकरी, रेवाड़ी से लेकर ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारियों का जमावड़ा बढ़ता जा रहा है।
दो विषयों पर रजामंदी
30 दिसंबर को हुई वार्ता में सरकार और किसानों के बीच दो विषयों पर रजामंदी बन गई थी। पराली से संबंधित अध्यादेश और प्रस्तावित बिजली क़ानून को लेकर किसानों की मांगों को मान लिया गया था। किसान आंदोलन में लगातार हो रही मौतें भी चिंता का विषय बनी हुई हैं। किसान नेताओं का कहना है कि अब तक 60 से ज़्यादा किसानों की मौत हो चुकी है।
अमरिंदर ने जताई चिंता
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन के कारण राज्य की क़ानून व्यवस्था के बिगड़ने का अंदेशा जताया है। न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि उनकी हमदर्दी किसानों के साथ है लेकिन वे राज्य की क़ानून व्यवस्था को बिगड़ने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि यह बेहद ज़रूरी है कि राज्य में हालात सामान्य हों और किसान अपने काम पर लौटें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब वक़्त आ गया है कि प्रधानमंत्री इस मामले को गंभीरता से लें और इन क़ानूनों को ख़त्म करें वरना उनकी सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का रूख़ करेगी।
किसानों के आंदोलन पर देखिए वीडियो-
हर गांव से 10 ट्रैक्टर ट्राली
‘द हिंदू’ के मुताबिक़, भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रधान जोगिंदर नैन ने कहा है कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के लिए हर गांव से कम से कम 10 ट्रैक्टर ट्राली भेजी जाएंगी। इसके अलावा हर किसान परिवार से एक सदस्य इस परेड में भेजने के लिए कहा गया है। इसके लिए 10 जनवरी से किसान नेता हरियाणा के सारे गांवों में अभियान शुरू करेंगे किसान नेताओं ने कहा है कि इस तरह की ट्रैक्टर रैलियां पूरे देश भर में निकाली जाएंगी। इसके अलावा हरियाणा के कई टोल प्लाजा पर किसानों का आंदोलन जारी है।खाप पंचायतें विरोध में
इस बीच, हरियाणा की जींद जिले की 10 खाप पंचायतों ने एलान किया है कि वे बीजेपी-जेजेपी के नेताओं को बागंड़ इलाक़े में घुसने नहीं देंगे। उन्होंने कहा है कि वे बीजेपी नेताओं के चौपाल कार्यक्रमों का विरोध करेंगे और अगर कोई नेता उनके गांव में आता है तो उसे काले झंडे भी दिखाएंगे। किसानों के आंदोलन को लेकर ऑल इंडिया किसान सभा के कार्यकर्ता लगातार गांवों में बैठकें कर रहे हैं और कृषि क़ानूनों के बारे में लोगों को बता रहे हैं।किसानों ने कहा कि 13 जनवरी को लोहड़ी पर तीनों क़ानूनों की प्रतियों को प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जलाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि महिला किसानों और प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करने के लिए 18 जनवरी को महिला किसान दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
किसानों का कहना है कि वे अपने हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं और तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक ये कृषि क़ानून वापस नहीं हो जाते। उनका कहना है कि ये कृषि क़ानून उनके लिए डेथ वारंट हैं और इनके लागू होने से वे तबाह हो जाएंगे।
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