केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू शनिवार को तवांग सेक्टर के यांगस्ते इलाके में पहुंचे। उन्होंने वहां से सेना के जवानों के बीच अपनी एक तस्वीर जारी की है और कहा है कि अरुणाचल प्रदेश पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि यहां पर भारतीय सेना के जवान अच्छी-खासी संख्या में तैनात हैं।
बताना होगा कि चीन और भारत के सैनिकों के बीच 9 दिसंबर को यांगस्ते इलाके में ही झड़प हुई थी। इस हिंसक झड़प में दोनों ओर से किसी भी जवान की मौत नहीं हुई लेकिन दोनों ओर के जवान घायल हुए थे। किरण रिजिजू अरुणाचल प्रदेश से सांसद हैं।
इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि गलवान और तवांग में भारतीय सेना के जवानों के शौर्य की जितनी प्रशंसा की जाए वह कम है।
राजनाथ सिंह ने संसद में बयान देते हुए कहा था कि चीनी सैनिकों ने यांगस्ते इलाके में एलएसी पर अतिक्रमण कर यथास्थिति को एकतरफा बदलने की कोशिश की लेकिन हमारी सेना ने इसका दृढ़ता और बहादुरी से सामना किया।
राहुल के बयान पर विवाद
इधर, बीजेपी ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान को लेकर उन पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि चीन लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के छोर पर अपनी जबरदस्त तैयारी कर रहा है और चीन के सैनिक हमारे जवानों को अरुणाचल प्रदेश में पीट रहे हैं। इस पर बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि भारत की सेना इतनी सक्षम है कि ना तो वह कभी पिटी थी और ना कभी पिटेगी।
भाटिया ने कहा कि कांग्रेस का चीन से समझौता है और मुझे ऐसा कोई बयान नहीं दिखा जब कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने चीन की निंदा की हो। साल 2007 में संसद में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने बताया था कि कुल 43180 स्क्वयार किलोमीटर जमीन कांग्रेस शासन के दौरान चीन ने कब्जाई है।
गलवान की हिंसक झड़प
याद दिलाना होगा कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण रहे हैं।
चीन पर चर्चा कब होगी: खड़गे
खड़गे ने कहा है कि सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारत में पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा है कि चीन का जामफेरी रिज तक निर्माण करना हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि हम चीन पर चर्चा कब करेंगे।
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