- पिछले दस वर्षों में अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राएं सरकारी छात्रवृत्ति और अन्य स्कीमों से सबसे ज्यादा वंचित किये जा रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने जो आंकड़ा पेश किया है, उसके मुताबिक प्री मैट्रिक वाले अल्पसंख्यक छात्र-छात्राओं की स्कॉलरशिप में पिछले चार वर्षों में 94% की गिरावट दर्ज की गई है। यानी अब अल्पसंख्यक युवा छात्रों को न के बराबर स्कॉलरशिप मिलती है। इसी तरह पोस्ट मैट्रिक अल्पसंख्यक छात्रों की छात्रवृत्ति में पिछले चार वर्षों में 83% की गिरावट आई है। सबका साथ सबका विकास नारे की हकीकत यहीं पर पता चलती है।
.@narendramodi जी,
— Mallikarjun Kharge (@kharge) February 25, 2025
देश के SC, ST, OBC और Minority वर्ग के युवाओं की छात्रवृत्तियों को आपकी सरकार ने हथियाने का काम किया है।
ये शर्मनाक सरकारी आँकड़े बताते हैं कि सभी वज़ीफों में मोदी सरकार ने लाभार्थियों की भारी कटौती तो की है, साथ ही औसतम साल-दर-साल 25% फंड भी कम ख़र्च किया… pic.twitter.com/JG7cDkkbs8
उस समय सरकार ने अपने फैसले को उचित ठहराते हुए कहा था कि शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 सरकार को हर बच्चे को मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा (कक्षा I से VIII) प्रदान करने के लिए बाध्य करता है। इसलिए सिर्फ कक्षा IX और X में पढ़ने वाले छात्रों को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और जनजातीय मामलों के मंत्रालय की पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत कवर किया जाएगा। इसी तरह 2022-23 से, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की पूर्व-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के तहत कवरेज भी केवल कक्षा IX और X के लिए होगी।
स्कूल ड्रॉपआउट की स्थिति
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में स्कूल छोड़ने की कुल दर लगभग 12.6% है, जिसमें सबसे अधिक स्कूल छोड़ने की दर माध्यमिक स्तर (कक्षा 9-12) पर है। जहां यह दर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर की तुलना में बहुत अधिक है।
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स्कूल ड्रॉपआउट में गिरावट वाले 21 राज्यों में से बिहार सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला राज्य है।
राजस्थान में 2024 में प्राइमरी स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में सबसे अधिक वृद्धि हुई, जो 3.2 प्रतिशत थी। इस स्तर पर ड्रॉपआउट पहले के 4.4 प्रतिशत से बढ़कर 7.6 प्रतिशत हो गये। लेकिन बिहार में सबसे अधिक ड्रॉपआउट 8.9 प्रतिशत था, जो राष्ट्रीय औसत से लगभग चार गुना अधिक था। उच्च प्राथमिक स्तर पर स्थिति बहुत खराब थी, क्योंकि बिहार में कक्षा 6-8 के बीच एक चौथाई से अधिक छात्र स्कूल छोड़ देते हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 4.9 प्रतिशत है। बिहार में एक वर्ष में ड्रॉपआउट में 10.9 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई। 3.8 प्रतिशत अंकों की गिरावट के बावजूद माध्यमिक विद्यालय छोड़ने वालों में भी बिहार देश में सबसे आगे रहा, क्योंकि कक्षा 9-10 में चार में से एक छात्र ने पढ़ाई छोड़ दी।
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