कर्नाटक के पुलिस प्रमुख प्रवीण सूद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अगले डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हें कई सीनियर आईपीएस को दरकिनार कर यह पद सौंपा गया है। वह मौजूदा डायरेक्टर सुबोध कुमार जायसवाल की जगह लेंगे, जिनका कार्यकाल 25 मई को खत्म हो रहा है।
प्रवीण सूद मार्च में तब सुर्खियों में आए थे जब कर्नाटक कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार ने उन पर राज्य में भाजपा सरकार की मदद करने का आरोप लगाया था। शिवकुमार ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ मामले दर्ज करने को लेकर डीजीपी प्रवीण सूद की गिरफ्तारी की मांग की थी।
प्रवीण सूद को बतौर अगले सीबीआई डायरेक्टर के रूप में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और लोकसभा में विपक्ष के नेता (कांग्रेस) अधीर रंजन चौधरी ने मंजूरी दी थी।
द हिन्दू की एक रिपोर्ट में कहा गया कि सूद के चयन पर कोई आधिकारिक शब्द कल नहीं कहा गया था। लेकिन यह पता चला कि अधीर रंजन चौधरी ने सूद के नाम पर एक असहमति नोट पेश किया क्योंकि उनका नाम मूल सूची में से नहीं था, जिन पर विचार किया जाना था। अधिकारियों का एक पैनल सीबीआई डायरेक्टर की पोस्ट के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था। एक सूत्र ने कहा कि प्रवीण सूद का नाम अंतिम समय में शामिल किया गया था।
द हिन्दू की खबर में कहा गया है कि प्रवीण सूद को तीन साल पहले राज्य के डीजीपी के रूप में नियुक्त किया गया था। वह हिमाचल प्रदेश के रहने वाले हैं और आईआईटी-दिल्ली के पूर्व छात्र हैं। उन्हें मई 2024 में रिटायर होना था, लेकिन अब उन्हें दो साल का निश्चित कार्यकाल मिलेगा और वह कम से कम मई 2025 तक पद पर बने रहेंगे।
दिलचस्प बात यह है कि यह बैठक उस दिन हुई जब कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज की। इससे पहले मार्च में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी.के. शिवकुमार ने सूद पर अक्षम होने का आरोप लगाया था और उन पर कर्नाटक में भाजपा सरकार की कठपुतली होने का आरोप लगाया था। महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल का दो साल का निश्चित कार्यकाल 25 मई को खत्म हो रहा है।
सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्त विवाद का विषय बनती रही है। आमतौर पर हर केंद्र सरकार अपनी पसंद और तमाम दूरगामी नीतियों को देखते हुए इस पर किसी की नियुक्त करती है लेकिन हर बार इस पद पर नियुक्ति विवाद का विषय बनती है। सरकार आईपीएस अफसरों की वरिष्ठता क्रम को कई बार नजरंदाज कर देती है।
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