सिने अदाकारा कंगना रनौत ने जब मुंबई को पीओके कहा, महाराष्ट्र को पाकिस्तान कहा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री जैसे गरिमामयी ओहदे पर बैठे उद्धव ठाकरे से तू-तड़ाक की तो लोगों को समझ आ गया था कि वो किसकी शह पर ऐसी भाषा बोल रही हैं। राजनीति और जीवन का तजुर्बा रखने वालों ने उनकी बातों को फिजूल समझकर उन पर ध्यान देना छोड़ दिया था। लेकिन अब तो इस अदाकारा ने हद ही पार कर दी है।
आप किसी विशेष विचारधारा से प्रभावित हो सकते हैं, उस विचारधारा की सरपरस्ती करने वाली पार्टी की सरकार से वाई श्रेणी की सुरक्षा मिलने का एहसान तमाम नफ़रती बयानों के जरिए चुका सकते हैं, लेकिन आप अन्नदाता किसानों का अपमान क़तई नहीं कर सकते।
कंगना रनौत ने बदजुबानी की सरहदों को लांघते हुए अब ऐसा बयान दिया है, जिसे लेकर उनकी सोच पर सिर्फ़ अफ़सोस जाहिर किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किए गए इस ट्वीट को लेकर कि न्यनूतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और सरकारी खरीद जारी रहेगी, इस पर कंगना ने लिखा- ‘प्रधानमंत्री जी कोई सो रहा हो उसे जगाया जा सकता है, जिसे ग़लतफ़हमी हो उसे समझाया जा सकता है मगर जो सोने की ऐक्टिंग करे, ना समझने की ऐक्टिंग करे उसे आपके समझाने से क्या फ़र्क़ पड़ेगा?’
कंगना ने आगे लिखा- ‘ये वही आतंकी हैं, नागरिकता क़ानून (सीएए) से एक भी इंसान की नागरिकता नहीं गयी मगर इन्होंने ख़ून की नदियाँ बहा दीं।’
कोई भी भारतीय शख़्स किसी भी पार्टी से जुड़ा हो, वह इस बयान को बर्दाश्त नहीं कर सकता कि किसान को आतंकी कह दिया जाए। बता दें कि कृषि विधेयकों को लेकर पंजाब और हरियाणा में किसान तपती सड़कों पर धरने पर बैठे हुए हैं। इन विधेयकों को काला क़ानून बताते हुए उन्होंने इन्हें वापस लेने की मांग की है और सरकार इन्हें उनके फ़ायदे वाला क़ानून बता रही है। लेकिन कंगना की बदज़ुबानी तो उस किसान के हौसले को तोड़ने वाली है, जो सर्दी-गर्मी, धूप-बरसात को दरकिनाकर कर अन्न उपजाने के काम में जुटा रहता है।
...वंशवाद का एक नमूना हो’
बदतमीजी की हदों को लांघते हुए कंगना ने कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे को वंशवाद का नमूना कहा था। इससे पहले कंगना ने उद्धव ठाकरे के लिए जिस भाषा का इस्तेमाल किया था, उससे आम लोग भी सन्न रह गए थे। उन्होंने उद्धव को तू कहकर संबोधित किया था।
बीएमसी के द्वारा अपने ऑफ़िस में अवैध निर्माण को लेकर कार्रवाई करने पर कंगना ने कहा था, ‘उद्धव ठाकरे तुझे क्या लगता है कि तूने फ़िल्म माफिया के साथ मिलकर मेरा घर तोड़कर मुझसे बहुत बड़ा बदला लिया है। आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा। ये वक़्त का पहिया है, याद रखना हमेशा एक जैसा नहीं रहता।’
कंगना ने उनके ऑफ़िस में तोड़फोड़ करने पहुंची बीएमसी की टीम की तुलना बाबर से की थी।
कार्रवाई करेगी सरकार?
किसानों के हक की बात करने वाली बीजेपी क्या अब भी कंगना के समर्थन में खुलकर खड़ी रहेगी क्योंकि सवाल यह है कि 138 करोड़ भारतीयों का पेट भरने वाला किसान अगर सरकार की नीति का विरोध करे तो क्या वह आतंकी हो जाएगा। राष्ट्रवाद की झंडाबरदार बीजेपी को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए कि कंगना के इस बयान पर उसका क्या कहना है। क्या वह कंगना के बयान के समर्थन में है और विरोध में है तो क्या सिर्फ़ दिखावटी या केंद्र या हिमाचल सरकार से कहकर अभिनेत्री के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई करेगी।
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