यूपी के कैराना में कल रात को बिना नंबर वाली कार में पकड़ी गई ईवीएम के मामले में जिला प्रशासन ने जोनल मजिस्ट्रेट के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। दूसरी तरफ डीएम का वीडियो बयान आज आया है, जिसमें वो कह रही हैं कि इसमें ऐसा कुछ नहीं है। मशीन को पहुंचाया जा रहा था। पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराई गई है। लेकिन सवाल ये है कि जब कुछ भी गड़बड़ नहीं है तो मामले की जांच किसलिए कराई जा रही है। समाजवादी पार्टी ने इस मामले में तमाम तरह के शक जाहिर किए हैं। कल प्रथम चरण के मतदान के दिन ईवीएम खराब होने की सबसे ज्यादा शिकायतें कैराना से ही आ रही थीं। एक ईवीएम से पांच फीसदी तक वोट मैनेज किए जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश के कैराना में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को कल रात बिना नंबर प्लेट वाली गाड़ी में लावारिस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) मिली। कैराना उन 58 विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जहां गुरुवार को पहले चरण के मतदान के लिए मतदान हुआ था।
जिस कार में ईवीएम मिली थी, उस पर कैराना निर्वाचन क्षेत्र के जोनल मजिस्ट्रेट का स्टीकर चिपका हुआ था। कार शामली-पानीपत हाईवे पर समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को मिली, जो स्थानीय एसडीएम के साथ थे।
बाद में ईवीएम को जिलाधिकारी के सामने खोला गया, जिन्होंने स्वीकार किया कि यह चुनाव सुरक्षा प्रोटोकॉल का उल्लंघन है।इस मामले की सूचना जैसे ही सपा नेता नाहिद की बहन इकरा हसन को मिली, वो फौरन मौके पर सपा कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गईं। वहां उन्होंने पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी कराने की मांग रखी। इकरा ने कहा कि ईवीएम जहां-जहां रखी गईं हैं, उन पर कैमरों के जरिए निगरानी रखी जाए। उन्होंने सपा कार्यकर्ताओं से भी चौकन्ना रहने को कहा है।
58 विधानसभा सीटों के लिए पहले चरण के मतदान में कैराना शीर्ष पर रहा। यहां सबसे ज्यादा 75.12 फीसदी मतदान हुआ। कैराना से सपा टिकट पर नाहिद हसन खड़े हैं, लेकिन उन्हें चुनाव नामांकन के दौरान एक पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। फिर उनके चुनाव प्रचार को उनकी बहन इकरा हसन ने संभाला। नाहिद हसन का पूरा परिवार राजनीति में है। उनके पिता मुनव्वर हसन सांसद रह चुके हैं। उनकी मां विधायक हैं।
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