कर्नाटक से हिजाब को लेकर शुरू हुआ विवाद अब अदालतों के बाद दूसरे राज्यों तक पहुंचने लगा है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के मालेगांव में हजारों की संख्या में मुसलिम समुदाय के लोग इकट्ठा हुए और शुक्रवार के दिन को हिजाब डे के तौर पर मनाया। इतनी बड़ी संख्या में लोग जमीयत उलेमा ए हिंद के आह्वान पर इकट्ठा हुए थे।
इस दौरान हुई सभा में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हिजाब उनका अधिकार है और इस पर लगे बैन को वापस लिया जाना चाहिए। कई संगठनों ने इसे समर्थन भी दिया है।
इस प्रदर्शन को पुलिस की इजाजत के बिना आयोजित किया गया था। पुलिस ने इस मामले में नियमों का उल्लंघन करने पर जमीयत उलेमा ए हिंद के चार पदाधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
इसके अलावा एआईएमआईएम के स्थानीय विधायक को नियमों का उल्लंघन करने और प्रदर्शन स्थल पर जाकर भाषण देने पर नोटिस जारी किया गया है।
उधर, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में सही समय आने पर सुनवाई की जाएगी। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि इस तरह की बातों को राष्ट्रीय स्तर तक ना लाएं।
कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि स्कूल और कॉलेजों में तब तक किसी तरह के धार्मिक कपड़े ना पहने जाएं जब तक अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं करती। कर्नाटक की एक छात्रा ने याचिका दायर कर इसे चुनौती दी है।
अदालत ने कहा कि हम नहीं जानते कि क्या हो रहा है लेकिन यह सोचा जाना चाहिए कि क्या इस तरह की बातों को दिल्ली लाना ठीक है। सीजेआई ने कहा कि हम यहां पर सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए ही बैठे हैं।
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब कर्नाटक हाई कोर्ट का कोई आदेश इस मामले में नहीं आया है तो इसे सुप्रीम कोर्ट में कैसे चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट को फैसला करने दिया जाए और इसे किसी भी तरह का धार्मिक या राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
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