जेएनयू में पाँच जनवरी को हिंसा से पहले जिस बायोमेट्रिक सिस्टम और सीसीटीवी में तोड़फोड़ के दावे जेएनयू प्रशासन ने किए थे, दरअसल वे झूठे थे। यह बात ख़ुद जेएनयू प्रशासन ने ही मानी है। इसने यह जानकारी तब दी जब आरटीआई से जवाब माँगा गया। यह जवाब विश्वविद्यालय के संचार और सूचना सेवा यानी सीआईएस ने दिया है। इसने जवाब में यह भी कहा है कि सीसीटीवी में तोड़फोड़ नहीं होने के बावजूद हिंसा के दिन जेएनयू मेन गेट पर दोपहर से रात 11 बजे तक की सीसीटीवी फ़ुटेज मौजूद नहीं है। नेशनल कैंपेन फ़ॉर पीपल्स राइट के सदस्य सौरव दास ने आरटीआई से जानकारी माँगी थी।
'जेएनयू में न तो बायोमेट्रिक सिस्टम और न ही सीसीटीवी में हुई थी तोड़फोड़’
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- 22 Jan, 2020
जेएनयू में पाँच जनवरी को हिंसा से पहले जिस बायोमेट्रिक सिस्टम और सीसीटीवी में तोड़फोड़ के दावे जेएनयू प्रशासन ने किए थे, दरअसल वे झूठे थे। यह बात ख़ुद जेएनयू प्रशासन ने ही मानी है।

विश्वविद्यालय के सीआईएस ने जो जानकारी दी है वह पाँच जनवरी को हुई हिंसा और इससे पहले तीन और चार जनवरी को कथित तोड़फोड़ के बारे में दर्ज की गई एफ़आईआर और बयानों में अंतर्विरोध और संदेह को दर्शाती है। सीआईएस की रिपोर्ट से पहले जान लें कि घटनाक्रम कैसे चला था।