राजनीति में हर दिन आपका सिक्का नहीं चलता और भारतीय राजनीति में तो ऐसे कई उदाहरण हैं जब अजेय माने जाने वाले नेताओं को जनता ने उनकी ज़मीन दिखा दी है। इस वाक्य से इस ख़बर की शुरुआत करने का सीधा मतलब झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों से है। बीजेपी बड़े जोर-शोर से झारखंड की जीत का दावा कर रही थी लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद उसे सोचना होगा कि इतना विपरीत परिणाम क्यों आया है।
मोदी-शाह के लिए चिंता का सबब बनी सिकुड़ती बीजेपी!
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- 6 Mar, 2021

बीजेपी बड़े जोर-शोर से झारखंड की जीत का दावा कर रही थी लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद उसे सोचना होगा कि इतना विपरीत परिणाम क्यों आया है।
झारखंड के पूरे चुनाव प्रचार और चुनाव नतीजों को ध्यान से देखें तो समझ आता है कि वहां स्थानीय मुद्दों पर जोर देने के बजाय बीजेपी का जोर राष्ट्रीय मुद्दों पर रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रैलियों में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का जिक्र किया। अमित शाह ने चुनाव रैलियों में देश भर में एनआरसी को लागू करने की भी बात कही और यह भी बताने की कोशिश की कि कांग्रेस की सरकार ने राम मंदिर समेत कई मुद्दों को लटकाया। इस सबके बीच स्थानीय मुद्दों पर ज़्यादा बात नहीं हुई। जल, जंगल, ज़मीन, किसान- आदिवासियों के हक़, मॉब लिंचिंग में मुसलमानों की हत्या जैसे मुद्दों को लगभग दरकिनार कर दिया गया।