केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) पर सरकार की ओर से सफ़ाई देते हुए कहा है कि इसका नैशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि यह नागरिकता का रजिस्टर नहीं है, यह जनसंख्या का रजिस्टर है। सोमवार को कैबिनेट ने इसकी मंज़ूरी दे दी।
उन्होंने यह भी कहा कि अगले साल अप्रैल से सितंबर तक एनपीआर को अपडेट किया जाएगा। जिस समय जनगणना के लिए घरों की गिनती की जाएगी, उसी समय उसके साथ ही यह भी कर लिया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने 8,500 करोड़ रुपए की मंजूरी भी दे दी है।
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जावड़ेकर ने कहा कि इसका इस्तेमाल सब्सिडी का फ़ायदा उठाने वालों की पहचान करने के लिए किया जाएगा। इसके लिए किसी सबूत की ज़रूरत नहीं होगी। यह इस पर निर्भर करता है कि आप क्या घोषित करते हैं। यह रजिसटर नागरिकता से जुड़ा नहीं होगा। यह बायोमेट्रिक होगा।
क्या है एनपीआर?
नैशनल पोपुलेशन रजिस्टर ऐसा रजिस्टर है, जिसमें उन सभी लोगों के नाम दर्ज हैं जो कहीं के मोटे तौर बाशिंदे (यूज़ुअल रेज़ीडेंट) हैं। इसे बिल्कुल स्थानीय स्तर यानी गाँव, कस्बा, शहर, ज़िला स्तर पर तैयार किया जाता है। इसे नागरिकता क़ानून, 1955 और नागरिकता क़ानून 2003 के तहत तैयार किया जाता है। युज़ुअल रेजीडेंट उसे कहा जाता है जो किसी इलाक़े में 6 महीने से रहता आया है या अगले 6 महीने में रहेगा।मक़सद क्या है?
एनपीआर का मक़सद है ऐसा रजिस्टर तैयार करना, जिसमें देश में रहने वाले हर आदमी का नाम दर्ज हो। यह ऐसा डेटाबेस होगा, जिसमें किसी आदमी की हर तरह की जानकारी होगी।इसमें उसका आधार नंबर, मोबाइल नंबर, पैन, ड्राइवर लाइसेंस, वोटर कार्ड और पासपोर्ट के ब्यौरा होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार आधार की जानकारी देना स्वैच्छिक होगा।
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