उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राज्य में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराए जाने को लेकर दिल्ली में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की बैठक हुई। बैठक में जमीयत उलेमा-ए-हिन्द से जुड़े तमाम आला पदाधिकारी शामिल हुए। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द देश के सुन्नी मुसलमानों की प्रमुख संस्था है।
बैठक के बाद जमीयत के अध्यक्ष महमूद मदनी ने पत्रकारों को बताया कि जमीयत की ओर से एक कमेटी बनाई गई है और वह सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले को देखेगी। इस कमेटी में 12 लोगों को रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार सही काम करेगी, कानून के रास्ते पर चलेगी तो हम उसका समर्थन करेंगे लेकिन अगर सरकार ने टेढ़ी आंख की तो हम उसका विरोध करेंगे।
इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने न्यूज़ चैनल आज तक से बातचीत करते हुए कहा कि चर्चा करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं है और जमीयत के लोगों के पास अगर कोई सुझाव हो तो वह सीधे सरकार को भेज सकते हैं।
उन्होंने बताया कि जैसे- मदरसों में अच्छे भवन हैं या नहीं, अच्छे टॉयलेट, अच्छे फर्नीचर हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि योगी सरकार का मकसद सिर्फ बच्चों का भविष्य अच्छा बनाना है और सर्वे को लेकर डरने की कोई जरूरत नहीं है।
इस मामले में मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा था कि उत्तर प्रदेश में 16000 मदरसे हैं जिनमें से केवल 550 मदरसों को अनुदान मिलता है यानी सरकार इन मदरसों का खर्चा उठाती है जबकि बाकी के 15000 से ज्यादा मदरसे मुसलमानों के चंदे से संचालित होते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार सर्वे कराकर इन 15000 मदरसों को बंद कराना चाहती है।
याद दिलाना होगा कि असम में पिछले कुछ दिनों में राज्य सरकार ने 3 मदरसों पर बुलडोजर चला दिया था। सरकार का कहना था कि यहां पर देश विरोधी गतिविधियां हो रही थीं।
छोटा एनआरसी: ओवैसी
मदरसों पर सर्वे को लेकर एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी सवाल उठाए थे। उन्होंने इसे छोटा एनआरसी बताया था। उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा था कि यह वह मदरसे हैं जिनका उत्तर प्रदेश के मदरसा बोर्ड में कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है और अगर कोई प्राइवेट मदरसा खोल रहा है तो सरकार इसमें क्यों टांग अड़ा रही है।
ओवैसी ने कहा था कि अगर सर्वे करना है तो सभी का सर्वे होना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यह टारगेटेड सर्वे है और कल इन मदरसों को चलाने वालों का उत्पीड़न किया जाएगा।
यूसीसी को किया था खारिज
जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को खारिज कर दिया था। जमीयत ने मई के महीने में देवबंद में जलसा आयोजित किया था। जमीयत ने कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मुसलमानों की शरीयत में दखलन्दाजी है, जिसे मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।
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