जामिया मिल्लिया इसलामिया की लाइब्रेरी में पुलिस के घुसने के एक के बाद एक छह वीडियो फ़ुटेज आ गए। इनमें पुलिस को छात्र को बेरहमी से पीटते, तोड़फोड़ करते और सीसीटीवी कैमरे को तोड़ने का प्रयास करते देखा जा सकता है। इस पर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं, लेकिन पुलिस से जुड़े रहे लोगों की नज़र में क्या यह कार्रवाई सही है? क्या पुलिस को ऐसा करने का अधिकार है? और यदि नहीं है तो ऐसा करने वाले पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए?
जामिया सीसीटीवी: पूर्व पुलिस अफ़सर बोले- जामिया में हुई ज़्यादती
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- 18 Feb, 2020
जामिया मिल्लिया इसलामिया की लाइब्रेरी में पुलिस के घुसने के एक के बाद एक छह वीडियो फ़ुटेज आ गए। इनमें पुलिस को छात्र को बेरहमी से पीटते, तोड़फोड़ करते और सीसीटीवी कैमरे को तोड़ने का प्रयास करते देखा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक विक्रम सिंह ने कहा कि यदि जामिया मिल्लिया इसलामिया में पुलिस द्वारा तोड़फोड़ करने की रिपोर्ट सही है तो यह निंदनीय है और उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ नयी रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पुलिस का काम स्थिति को नियंत्रित करना है न कि ख़ुद ही तोड़फोड़ करने वाले के रूप में पेश आना। उन्होंने ‘द क्विंट’ से ये बातें कहीं। रिपोर्ट के अनुसार, विक्रम सिंह ने कहा, 'लाठीचार्ज उस समय रोक दिया जाना चाहिए था जब लोगों के बाहर जाने का रास्ता नहीं था और वे बाहर नहीं जा पा रहे थे। ऐसे में लाठी को सिर्फ़ फर्श पर पटकना ही काफ़ी था और प्रदर्शन करने वालों के शरीर से लाठी को छूना भी नहीं चाहिए था।'