रिया चक्रवर्ती के ड्रग्स मामले को लेकर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी की कार्रवाई गंभीर सवालों के घेरे में है। एनसीबी के पूर्व प्रमुख ही इस मामले में एनसीबी की हर कार्रवाई पर सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं कि एनसीबी जो कर रहा है वह दरअसल उसका काम ही नहीं है। सवाल तो इसलिए भी उठ रहे हैं कि अभी तक जिन लोगों के भी नाम आए हैं उनमें से किसी के पास भी ड्रग्स नहीं मिला है। उनका नाम वाट्सऐप चैट के आधार पर आ रहा है। ये चैट भी 2017 की हैं। जिस मामले में किसी के दोषी पाए जाने पर भी ज़मानत मिल जाने का प्रावधान हो वहाँ आरोप लगने पर भी रिया को ज़मानत क्यों नहीं मिल रही है? चुनिंदा तरीक़े से वाट्सऐप चैट क्यों लीक की जा रही हैं? क्या ये लीक दीपिका पादुकोण, दीया मिर्ज़ा, सारा अली ख़ान जैसी अभिनेत्रियों को चुनिंदा तौर पर निशाने पर लेने के लिए किए जा रहे हैं? और एक बड़ा सवाल एनसीबी का काम बड़े ड्रग्स माफिया का भंडाफोड़ करना है या फिर 59 ग्राम ड्रग्स के उपभोक्ताओं के पीछे पड़े रहना?
ऐसे ही सवाल एनसीबी के पूर्व प्रमुख, पूर्व आईपीएस अधिकारी और वरिष्ठ वकील उठा रहे हैं। क्या ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि एनसीबी अपने असल काम से भटक गया है? ड्रग्स से जुड़े व्यक्तिगत मामलों में एनसीबी का कोई रोल नहीं होता है और बड़े स्तर पर ड्रग सिंडिकेट या माफिया को पकड़ना इसका मुख्य काम है। यह बात ख़ुद एनसीबी के उप महानिदेशक एम ए जैन ने ही तब कही थी जब रिया चक्रवर्ती को गिरफ़्तार किया जा रहा था। उन्होंने कहा था कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग के मामलों और अंतरराज्यीय स्तर पर ड्रग के मामलों को देखते हैं। इसलिए हम बड़ी मछलियों को पकड़ते हैं। सामान्य रूप से इस तरह के मामले हमारे स्तर के नहीं होते हैं। लेकिन चूँकि अब हमें कुछ ऐसी जानकारी मिल रही है तो हम अपनी ज़िम्मेदारी से हट नहीं सकते हैं।
क्या कहते हैं एनसीबी के पूर्व प्रमुख?
इस मुद्दे पर ‘इंडिया टुडे’ टीवी पर राजदीप सरदेसाई ने एक कार्यक्रम किया। इस कार्यक्रम में शामिल एनसीबी के पूर्व प्रमुख बी वी कुमार ने कहा कि एनसीबी के गठन का उद्देश्य बड़े ड्रग तस्कर की जानकारी जुटाना, अंतरराज्यीय स्तर पर ड्रग की तस्करी का भंडाफोड़ करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग माफिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना था।
रिया चक्रवर्ती के मामले में एनसीबी कार्रवाई क्यों कर रहा है? रिया के मामले में 59 ग्राम हशीश (ड्रग्स) लेने का आरोप है। वाट्सऐप मैसेज में उनका नाम आया है। ये मैसेज 2017 के हैं। कहा जा रहा है कि बॉलीवुड में ड्रग्स सिंडिकेट है और अभिनेत्रियों को घसीटा जा रहा है, क्या इस तरह से एनसीबी काम करता है?
इस सवाल पर बी वी कुमार कहते हैं कि अब तक जो मीडिया में जानकारी आ रही है उसमें उनका आधार वाट्सऐप मैसेज है और ये ही सबूत के तौर पर रिकॉर्ड किए गए हैं। वह कहते हैं कि ये कमज़ोर सबूत मालूम पड़ते हैं और अदालत में इसे साबित नहीं किया जा सकता है जब तक कि इनके समर्थन में कोई स्वतंत्र और पुख्ता सबूत पेश नहीं किया जाता है।
जिस तरह के वाट्सऐप चैट में दीपिका पादुकोण, दीया मिर्ज़ा जैसी अभिनेत्रियों के नाम आने की बात कही जा रही है क्या वे सबूत काफ़ी हैं?
इस सवाल के जवाब में बी वी कुमार कहते हैं कि लैपटॉप, कम्प्यूटर, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव, मोबाइल फ़ोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को दूसरे किसी ठोस सबूत के साथ साबित करना पड़ता है। यदि दूसरे सबूत नहीं मिलते हैं तो क़ानून में ये सबूत वैध नहीं माने जाते हैं।
नारकोटिक्स से जुड़ी धारा 27 में ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए सज़ा का प्रावधान है और धारा 27 ए में ड्रग्स की तस्करी के लिए धन मुहैया कराने पर सज़ा का प्रावधान है। क्या इन दोनों में से किसी भी मामले के दायरे में रिया चक्रवर्ती या दूसरे एक्टर आते हैं?
इस पर बी वी कुमार कहते हैं कि ड्रग्स जितनी मात्रा में है उससे इसकी सज़ा एक साल तक की हो सकती है। वह कहते हैं कि इसके लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। वह यह भी कहते हैं कि इस मामले में ज़मानत मिल जानी चाहिए। वह कहते हैं कि सामान्य तौर पर 3 साल से कम सज़ा होने पर तुरंत ज़मानत का प्रावधान है और इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का ही साफ़ तौर पर निर्देश है।
ज़मानत क्यों नहीं मिली?
एनसीबी के पूर्व प्रमुख कुमार कहते हैं कि जिस मात्रा में ड्रग्स लेने के आरोप लगे हैं वे काफ़ी कम मात्रा में हैं। वह कहते हैं कि ये व्यक्तिगत उपयोग के लिए हो सकते हैं और ऐसे कोई सबूत नहीं मिले हैं कि वे किसी दूसरे को बेच रहे थे और वे लोग ड्रग्स एडिक्ट बन रहे थे। उनका कहना है कि कई देशों में तो व्यक्तिगत उपयोग के लिए ड्रग्स को अपराध की श्रेणी से हटाया जा चुका है। भारत में भी ऐसे मामलों में क़ानून थोड़ी नरमी से पेश आता है। वह कहते हैं कि क़ानून में प्रावधान है कि यदि कोई कम मात्रा में ड्रग्स लेने का दोषी भी है तो ऐसे मामलों में व्यक्तिगत बॉन्ड पर ही ज़मानत देने का प्रावधान है।
‘इंडिया टुडे’ टीवी के इस कार्यक्रम में ही राजदीप सरदेसाई के सवालों के जवाब में पूर्व आईपीएस अफ़सर यशवर्धन आज़ाद ने कहा कि रिया के ख़िलाफ़ जो भी आरोप लगे हैं वे वाट्सऐप चैट के आधार पर हैं और उनके ख़िलाफ़ ड्रग्स नहीं मिला है। उनके ख़िलाफ़ कोई ठोस सबूत नहीं है और इस लिहाज से उन्हें ज़मानत मिल जानी चाहिए थी।
एनसीबी की जाँच किस दिशा में?
पूर्व आईपीएस अफ़सर यशवर्धन आज़ाद ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि एनसीबी की जाँच ठीक दिशा में है क्योंकि इसकी जाँच ड्रग्स पेडलर से इन अभिनेताओं की ओर मुड़ गई है। उन्होंने कहा कि इसमें सबसे ख़राब बात यह है कि चुनिंदा तरीक़े से वाट्सऐप मैसेज लीक किया जा रहा है उससे दूसरे लोगों की छवि पर ख़राब हो रही है।
पूर्व आईपीएस अफ़सर आज़ाद कहते हैं कि इस जाँच को ड्रग पेडलर से उस तरफ़ जाना चाहिए था जहाँ से ड्रग्स की आपूर्ति होती है, जहाँ से बड़े स्तर पर तस्करी होती है, कैसे उसे दूसरी जगहों पर पहुँचाया जाता है। उन्होंने कहा कि सीधे तौर पर कहें तो एनसीबी वह काम कर रहा है जिसे राज्य के नारकोटिक्स विभाग को करना चाहिए।
‘एनसीबी ध्यान भटकाने वाला हथियार’
राजदीप सरदेसाई के सवालों पर पूर्व आईपीएस अधिकारी अजॉय कुमार ने कहा कि 'आज एनसीबी आम लोगों का ध्यान भटकाने वाला हथियार बन गया है'। उन्होंने कहा कि एनसीबी वह काम कर रहा है जिससे वह लाइमलाइट में बना रहे। वह कहते हैं कि एनसीबी के प्रमुख या जाँच अधिकारी गुपचुप तरीक़े से काम करते हैं लेकिन यहाँ तो हर रोज़ चुनिंदा तरीक़े से जाँच के तथ्यों को लीक किया जा रहा है। वह इशारों में ही कहते हैं कि इससे तो सवाल उठता है कि क्या दीपिका पादुकोण का नाम इसलिए आ रहा है कि वह जेएनयू में छात्रों के प्रदर्शन में गई थीं।
एनसीबी सबूत क्या पेश करेगी?
‘इंडिया टुडे’ टीवी के इस कार्यक्रम में वरिष्ठ वकील रिज़वान मर्चेंट कहते हैं कि वाट्सऐप चैट 2017 की है और इसलिए कोर्ट में इस बात को पेश करने के साथ एनसीबी को यह साबित करना होगा कि उन्होंने ड्रग्स खरीदा था, उसके लिए पैसे के भुगतान किए गए थे और उस ड्रग्स का इस्तेमाल किया गया था। यदि इसके ठोस सबूत नहीं पेश किए जाते हैं तो वाट्सऐप चैट कोर्ट में स्वीकार्य नहीं होगा।
वह कहते हैं कि यदि यह साबित हो भी जाए कि ड्रग्स का उपयोग किया गया है तो उपयोग करने वाले को ड्रग्स पेडलर या फिर ड्रग माफिया की तरह नहीं देखा जाता है। रिज़वान मर्चेंट कहते हैं कि उन्होंने 30 साल से ज़्यादा के करियर में ऐसा मामला नहीं देखा जहाँ ड्रग्स का उपभोग करने वाले के ख़िलाफ़ किसी भी कोर्ट में एनसीबी केस लेकर पहुँचा हो।
मर्चेंट कहते हैं कि वह इस बात से आश्चर्यचकित हुए कि एनसीबी अफ़सर ने मजिस्ट्रेट के सामने यह कहा कि यह ज़मानती अपराध है, इसके बावजूद मजिस्ट्रेट ने ज़मानत नहीं दी। वह कहते हैं कि अब इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाया गया है।
राजनीतिक खेल है?
इस कार्यक्रम में शामिल अभिनेत्री और वकील कुनिका सदानंद कहती हैं कि चुनिंदा वाट्सऐप चैट के माध्यम से दीपिका पादुकोण, दीया मिर्ज़ा और सारा अली ख़ान को निशाना बनाया गया है। उन्होंने कहा कि दीपिका पादुकोण जेएनयू गई थीं, दीया मिर्ज़ा सरकारी नीतियों पर मुखर होकर बोलती रही हैं और सारा अली ख़ान शर्मिला टैगोर की पोती हैं जो कांग्रेस की नेता रहीं। वह कहती हैं कि एनसीबी को ऐसा तो नहीं करना चाहिए। वह इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बताती हैं और कहती हैं कि एक बार जब बिहार चुनाव ख़त्म हो जाएगा, यह मुद्दा भी ख़त्म हो जाएगा।
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