आसाराम की गिरफ़्तारी किसी थ्रिलर फ़िल्म से कम नहीं थी। आसाराम की गिरफ़्तारी से पहले ऊपर से फ़ोन की धौंस से लेकर धमकी और जाँच अधिकारी को मारने की साज़िश तक। और पुलिस की फ़िल्म 'स्पेशल 26' की तर्ज पर 'टफ़ ट्वंटी' टीम बनाने से लेकर मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल कर जाल बिछाने की रणनीति तक। सबकुछ एक थ्रिलर फ़िल्म की तरह थी और यही कारण है कि बड़े-बड़े रसूखदारों तक का चहेता आसाराम रिपोर्ट दर्ज होने के 10 दिन में गिरफ़्तार हो गया और वह 7 साल से जेल में है। आसाराम की इस गिरफ़्तारी की पूरी कहानी और उसके राज़ को उसको गिरफ़्तार करने वाले आईपीएस अफ़सर अजयपाल लांबा ने खोले हैं। उन्होंने उस पूरे वाक़ये पर किताब लिखी है।
'गनिंग फॉर द गॉडमैन : द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कॉन्विक्शन' नाम से आई इस किताब में लांबा लिखते हैं कि उन्हें इसके लिए ज़बरदस्त तैयारी इसलिए करनी पड़ी क्योंकि आसाराम आसानी से गिरफ़्तार होने वाला नहीं था। उन्होंने गिरफ़्तारी के दौरान की एक घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा है, "आसाराम ने झाँसा देने की कोशिश में कहा,- 'तुम ऐसा नहीं कर सकते। तुमको अभी ऊपर से ऑर्डर आ जाएँगे कि मुझको गिरफ़्तार नहीं कर सकते।' इस पर सुभाष ने उसके ट्राउजर की जेब से मोबाइल फ़ोन ले लिया और उसे बंद कर दिया।"
आसाराम की गिरफ़्तारी की कैसी तैयारी रही होगी यह उस किताब में खोले गए इस राज से भी पता चलता है- "गुजरात पुलिस ने खुलासा किया... उन्होंने (आसाराम के फॉलोअर) ने उसको (जाँच अधिकारी चंचल मिश्रा) गाड़ी में आईईडी ब्लास्ट लगाकर मारने की साज़िश रची थी।"
बता दें कि अगस्त, 2013 में आसाराम के ख़िलाफ़ नाबालिग के यौन उत्पीड़न का मामला दिल्ली में दर्ज हुआ। पीड़िता के पिता की रिपोर्ट थी कि आसाराम ने पीड़िता का जोधपुर स्थित आश्रम में जुलाई के अंतिम सप्ताह में यौन उत्पीड़िन किया था। मामला दिल्ली से जोधपुर ट्रांसफर हो गया। 31 अगस्त, 2013 को उसे इंदौर हवाई अड्डे से हिरासत में लिया गया। आसाराम को जोधपुर लाकर पूछताछ के बाद 1 सितंबर, 2013 को गिरफ्तार किया गया।
लेकिन यह इतना आसान नहीं था। जिसके लाखों-करोड़ों चाहने वाले हों, रसूखदार क़ारोबारियों से लेकर नेता तक फ़ॉलोअर हों, उसकी गिरफ़्तारी आसान हो भी नहीं सकती है। अजयपाल लांबा यही बात किताब में लिखते हैं।
अजयपाल लांबा सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कि आसाराम की गिरफ़्तारी के लिए कैसे प्लानिंग की गई। अंडरकवर स्पेशल टीम बनाई गई। मीडिया रिपोर्टिंग का सहारा लिया गया। आसाराम को झाँसा दिया गया। जाल बिछाया गया। आसाराम के लाखों फ़ॉलोअर से निपटने की तैयारी की गई।
लांबा ने जो अंडरकवर 'टफ़ ट्वंटी' टीम बनाई थी उनको आसाराम के फ़ॉलोअर से निपटने का काम भी दिया गया था। वे सब क़ानूनी मामलों से निपटने, पूछताछ करने, निगरानी रखने और साइबर मामलों के एक्सपर्ट थे। लांबा किताब में लिखते हैं कि टीम के सदस्यों को एक-दूसरे पर इस बात के लिए नज़र रखने के लिए कहा गया था कि कहीं कोई राजनीतिक या विभागीय दबाव या धमकी या फिर पैसों के ऑफ़र के प्रभाव में न आ जाए।
फिर उसकी गिरफ़्तारी के लिए मीडिया का फ़ायदा उठाया। तब जोधपर पश्चिम के डीसीपी रहे लांबा ने किताब में लिखा है कि उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर उसको झाँसा दिया कि आसाराम को गिरफ़्तार करने के लिए एक टीम को भेज दिया गया है। उन्होंने लिखा है कि एक ख़बर देखने वाले एक दोस्त ने सूचना दी कि आसाराम भोपाल एयरपोर्ट पर है। उन्होंने यह जानकारी मीडिया को दे दी। वह कहते हैं कि फिर जहाँ कहीं भी आसाराम भोपाल से आगे गया इसकी जानकारी मीडिया देता रहा और इससे पुलिस का काम आसान हो गया।
लांबा ने लिखा है, 'यही मैं चाहता था। उस शख्स के पीछे मीडिया के पड़ने और भोपाल एयरपोर्ट से उसकी हर हरकत को रिकॉर्ड करने के कारण, मुझे किसी भी तरह की निगरानी की ज़रूरत नहीं थी। आदमी डर रहा था और सीधे उस जाल की ओर बढ़ रहा था जिसे हमने बड़ी सावधानी से बिछाया था।'
इसके बाद आसाराम इंदौर पहुँचा जहाँ उसके फॉलोअरों द्वारा विरोध करने के बावजूद उसे पकड़ लिया गया।
वह आगे कहते हैं कि तीन साल तक गवाहों से पूछताछ की गई। इसमें 27 दिन तक पीड़िता से, उसकी माँ से 19 दिन और उसके पिता से 18 दिन पूछताछ की गई। हर चीज की पूरी जानकारी ली गई ताकि आरोपी को सज़ा दिलाई जा सके।
किताब में इस बात का भी ज़िक्र है कि उसको सज़ा दिलाने के लिए उन्हें आसाराम के फ़ॉलोअरों ने धमकियाँ दीं। वह लिखते हैं कि उनकी पत्नी तो एक समय इतना डर गई थीं कि कुछ दिनों तक बेटी को स्कूल नहीं जाने दिया था। वह लिखते हैं कि आसाराम के फ़ॉलोअर राजस्थान के सिकर ज़िले के नीम का थाणा के उनके छोटे से गाँव में पहुँच गए थे जिन्हें गाँव वालों ने घेर लिया था और फिर पुलिस के हवाले कर दिया। लांबा लिखते हैं कि इस किताब के आने के बाद अब फिर से धमकियाँ ज़्यादा मिलने लगी हैं। 42 वर्षीय लांबा फ़िलहाल जयपुर में एडिशनल कमिश्नर ऑफ़ पुलिस हैं।
'गनिंग फॉर द गॉडमैन : द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसाराम बापूज कॉन्विक्शन' नाम से आई इस किताब के सह-लेखक संजीव माथुर हैं और इसको हार्पर कॉलिन्स प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। 5 सितंबर को इस किताब को रिलीज किया जाएगा।
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