कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज महंगाई को लेकर मोदी सरकार ने हमला बोला। जनवरी में रिटेल महंगाई दर 6.01 फीसदी पर जा पहुंची है। यह 7 महीने में रेकॉर्ड स्तर है। देश के पांच राज्यों में इस समय विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। राहुल का यह बयान इन चुनावों के मद्देनजर बहुत महत्वपूर्ण है। तमाम राज्यों में बीजेपी को महंगाई के मुद्दे के कारण सरकार विरोधी रुख का सामना करना पड़ रहा है।
राहुल गांधी ने आज सुबह किए गए ट्वीट में कहा कि आंकड़ों से साफ़ है- महंगाई बढ़ती जा रही है, आमदनी घटती जा रही है। लेकिन जनता की परेशानी व दर्द को कैसे नापें? कितने परिवार सूखी रोटी खाने पर मजबूर हैं? कितने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया गया? कितनी महिलाओं के गहने गिरवी रखे गए? कितनों की हंसी छीन चुकी है मोदी सरकार?
राहुल के इस बयान को पीएम मोदी के उस बयान से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने कल सीतापुर में कहा था कि वो जानते हैं कि गरीबी क्या होती है। वो गरीबी में पलकर ही यहां तक पहुंचे हैं, बाकी लोग तो भाषण देते हैं। राहुल ने आज केंद्र सरकार की दुखती रग महंगाई का उल्लेख कर मोदी के गरीबी वाली बात की काट पेश की है। महंगाई से सिर्फ गरीब ही नहीं शहरों में रहने वाला मध्य वर्ग भी प्रभावित है। इसलिए राहुल का यह बयान दोनों वर्गों को टारगेट कर दिया गया है।
महंगाई बढ़ाने में तेल की कीमतों की बड़ी भूमिका होती है। लेकिन इसके बावजूद महंगाई बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद भारत में तेल कंपनियां रेट नहीं बढ़ा रही हैं लेकिन अब चर्चा है कि 10 मार्च को चुनाव नतीजे आने के बाद पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ सकते हैं। जनता मीडिया से बातचीत के दौरान महंगाई का उल्लेख करना नहीं भूलती। हालांकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें करीब एक महीने से स्थिर हैं।
आँकड़ों से साफ़ है- महंगाई बढ़ती जा रही है, आमदनी घटती जा रही है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 17, 2022
लेकिन जनता की परेशानी व दर्द को कैसे नापें?
कितने परिवार सूखी रोटी खाने पर मजबूर हैं?
कितने बच्चों को स्कूल से निकाल लिया गया?
कितनी महिलाओं के गहने गिरवी रखे गए?
कितनों की हंसी छीन चुकी है मोदी सरकार? pic.twitter.com/HHOKhAD5Hg
राहुल ने अपने ट्वीट के साथ मीडिया रपट का हवाला भी दिया है। जिसमें कहा गया है कि दो दिन पहले जारी महंगाई के आंकड़ों में खुदरा महंगाई दर 6.01 फीसदी पहुंचने की सूचना है। यह पिछले सात महीनों में सबसे ज्यादा है। हालांकि दिसम्बर महीने में खुदरा महंगाई दर 5.59 फीसदी पर थी। वो भी पांच महीनों में सबसे ज्यादा थी। सच तो यह है कि पिछले दो साल में खुदरा महंगाई लगातार बढ़ रही है। यह रिजर्व बैंक के लक्ष्य से बहुत ज्यादा है।
भारत सरकार के आंकड़े भी यही बता रहे हैं कि खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ रही है। खाने-पीने की चीजें बेतहाशा महंगी हो गई हैं। खाने-पीने के वस्तुओं की महंगाई दर लगातार चौथे महीने बढ़कर 5.43 फीसदी हो गई, जो 2020 के अक्टूबर के बाद सबसे अधिक है। दालों की कीमतों में 3.02 फीसदी, सब्जियों में 5.19 फीसदी और तेल और फैट की कीमतों में 18.7% की वृद्धि हुई है। इसी तरह ईंधन 9.32 फीसदी, कपड़े और जूते 8.84 फीसदी, पान और तंबाकू 2.45 फीसदी महंगे हो चुके हैं।आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा है कि इस तरह के आंकड़े से कोई घबराहट नहीं होनी चाहिए। लेकिन आरबीआई गवर्नर ने यह नहीं बताया कि घबराहट किस तरह के आंकड़ों पर होना चाहिए। दरअसल, आरबीआई गवर्नर का यह बयान जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए दिया गया। लेकिन जिसकी जेब पर डकैती पड़ रही है, उसका दर्द वही जान सकता है। कोई आरबीआई गवर्नर उस दर्द को नहीं समझ सकता।
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