अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पिछले साल राष्ट्रपति पद संभालने के बाद कहा था कि 'भारतीय-अमेरिकी देश पर कब्जा कर रहे हैं'। यह उस देश के राष्ट्रपति ने बयान दिया था जिसकी उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस हैं। कमला एक तरह से पहली पीढ़ी की भारतीय अमेरिकी हैं क्योंकि उनकी माँ भारतीय थीं और वह अमेरिका में बस गई थीं। जो बाइडेन ने वह बयान भी किसी ऐसी जगह नहीं दिया था। उनका यह बयान नासा के वैज्ञानिकों के साथ संवाद के दौरान आया था। तो क्या नंद मूलचंदानी अमेरिका में उसी भारतीय-अमेरिकियों के बढ़ते प्रभाव को दिखाते हैं?
इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि मूलचंदानी कौन हैं और कितने बड़े पद पर उनको नियुक्त किया गया है। सीआईए ने आधिकारिक तौर पर ट्वीट किया है, 'सीआईए के निदेशक विलियम जे. बर्न्स ने नंद मूलचंदानी को सीआईए का पहला मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी (सीटीओ) नियुक्त किया है। 25 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ श्री मूलचंदानी सुनिश्चित करेंगे कि एजेंसी सीआईए के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक नवाचारों का लाभ उठाए।'
#CIA Director William J. Burns appoints Nand Mulchandani as CIA's first Chief Technology Officer (CTO).
— CIA (@CIA) April 29, 2022
With more than 25 years of experience, Mr. Mulchandani will ensure the Agency is leveraging cutting-edge innovations to further CIA's mission.
दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ाई करने वाले नंद मूलचंदानी सिलिकॉन वैली के भारतीय-अमेरिकी आईटी विशेषज्ञ हैं। मूलचंदानी ने कोर्नेल से कम्प्यूटर विज्ञान और गणित में डिग्री ली, स्टैनफोर्ड से प्रबंधन में मास्टर ऑफ़ साइंस की डिग्री ली और हार्वर्ड से लोक प्रशासन में मास्टर डिग्री हासिल की है।
मूलचंदानी उन भारतीयों में से एक हैं जो अमेरिका में बड़े पदों पर हैं और जो प्रशासन में बड़ा असर रखते हैं।
हालाँकि, इनसे बड़े पदों पर भी कई भारतीय-अमेरिकी हैं। भारतीय मूल की डेमोक्रेटिक नेता कमला हैरिस अमेरिका की उप-राष्ट्रपति हैं जो राष्ट्रपति के बाद दूसरे सबसे ताक़तवर नेता मानी जाती हैं। कमला हैरिस की माँ श्यामला गोपालन भारत के तमिलनाडु की हैं जबकि उनके पिता डोनल्ड हैरिस कैरेबियाई देश जमैका के मूल निवासी हैं। वे वर्षों पहले अमेरिका में बस गए थे।
अमेरिका की उप राष्ट्रपति बनने वाली वह पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली एशियाई मूल की नागरिक हैं।
कमला हैरिस ने इस बात पर जोर दिया था कि अमेरिका में ऐसा भी हो सकता है और इसी बात पर जोर जो बाइडेन भी पिछले साल मार्च में नासा वैज्ञानिकों के साथ संवाद में दे रहे थे जब कह रहे थे कि भारतीय अमेरिकी अमेरिका में नियंत्रण कर रहे हैं यानी छा रहे हैं।
बाइडेन का यह बयान तब आया था जब उनके सिर्फ़ 50 दिन के कार्यकाल में 55 भारतीय अमेरिकियों को प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया गया था। इसमें नासा के लिए उनका भाषण लिखने वाला भी शामिल था। तब बाइडेन ने नासा के वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा था, 'भारतीय मूल के अमेरिकी (एसआईसी) देश में छा रहे हैं। आप (स्वाति मोहन), मेरी उप राष्ट्रपति (कमला हैरिस), मेरे भाषण लेखक (विनय रेड्डी) हैं।'
बता दें कि भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक स्वाति मोहन नासा के मार्स 2020 मिशन के मार्गदर्शन, नेविगेशन और नियंत्रण कार्यों का नेतृत्व करती हैं।
इनके अलावा डॉ. विवेक मूर्ति अमेरिकी सर्जन जनरल और वनिता गुप्ता एसोसिएट अटॉर्नी जनरल डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के लिए प्रक्रियाएँ पूरी कर चुके हैं। बाइडेन प्रशासन द्वारा नियुक्त भारतीय-अमेरिकी महिलाओं में शामिल हैं- उज़रा ज़ेया, अवर सचिव, नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार, विदेश विभाग; माला अडिगा, डॉ. जिल बाइडेन के नीति निदेशक; आयशा शाह: व्हाइट हाउस ऑफ़िस ऑफ़ डिजिटल स्ट्रैटेजी की पार्टनरशिप मैनेजर; समीरा फाजिली, उप निदेशक, यूएस नेशनल इकोनॉमिक काउंसिल; सुमोना गुहा, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, व्हाइट हाउस में दक्षिण एशिया की वरिष्ठ निदेशक; और सबरीना सिंह, उप प्रेस सचिव, उप-राष्ट्रपति व्हाइट हाउस।
ये तो ऐसे भारतीय अमेरिकी हैं जो प्रशासन में शामिल हैं। लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे नामचीन भारतीय अमेरिकी हैं जो बड़े पदों पर हैं या फिर रहे हैं। इसमें सबसे ताज़ा तो ट्विटर के सीईओ पराग अग्रवाल की ही मिसाल है। 2011 में पराग एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में ट्विटर से जुड़े और 2017 में मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी बने।
ट्विटर से पहले गूगल के सीईओ पद पर सुंदर पिचई के नियुक्त किए जाने के बाद से वह सुर्खियों में रहे हैं। सुंदर पिचई एक अमेरिकी व्यवसायी हैं। वह गूगल एलएलसी के सीईओ हैं।
जब भी ताक़तवर और कामयाब महिलाओं का ज़िक्र आता है तो इंद्रा नूयी का नाम भी सामने आता है। 2006 में इंद्रा नूयी पेप्सिको की सीईओ बनी थीं। वह पेप्सिको की अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुकी हैं। साल 2018 में नूयी पेप्सिको के सीईओ पद से रिटायर हुईं। वह 2007 से 2019 तक पेप्सिको की अध्यक्ष रहीं।
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