दो दशकों बाद, भारत-अमेरिका सिविल परमाणु समझौते की व्यावसायिक संभावनाओं को इस्तेमाल में लाने का रास्ता साफ हो गया है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग (DoE) से एक अभूतपूर्व मंजूरी मिली है, जो एक अमेरिकी निजी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टरों को डिजाइन करने और बनाने की अनुमति देगी। चीन सिविल परमाणु रिएक्टरों पर बहुत तेजी से काम कर रहा है। हालांकि भारत-अमेरिका में 2007 में ही इस पर सहमति बन गई थी लेकिन काम आगे नहीं बढ़ा था। सारे मामले में जो एक बात उल्लेखनीय है वो ये कि सारा काम प्राइवेट सेक्टर को मिला है। जबकि भारत में अभी तक यही नियम है कि परमाणु ऊर्जा से जुड़ा कोई भी प्रोजेक्ट सरकारी कंपनियों के पास रहेगा।