एक अमेरिकी ग़ैर-सरकारी संगठन ने भारत में आज़ादी और लोकतांत्रिक मूल्यों की बिगड़ती स्थिति को लेकर आगाह किया है। भारत के लिए यह अधिक चिंता की बात इसलिए है कि इस साल भारत को ‘आंशिक रूप से आज़ाद’(‘पार्टली फ्री’) की श्रेणी से निकाल कर ‘आज़ाद नहीं’ (‘नॉट फ्री’) श्रेणी में डाल दिया गया है।
‘द फ्रीडम इन द वर्ल्ड 2020’ रिपोर्ट में 195 देशों में लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता की आज़ादी का विश्लेषण कर उन्हें रैंक दिया गया है और उन्हें श्रेणी-वार बाँटा गया है। इस सूची में 83 देशों को 'फ्री', 63 देशों को 'पार्टली फ्री' और 49 देशों को 'नॉट फ्री' श्रेणियों में रखा गया है।
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क्या है इस रिपोर्ट का मतलब?
फ्रीडम हाउस नामक अमेरिकी ग़ैर-सरकारी संगठन यह अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार करता है। अमेरिकी राष्ट्रपति इलेनर रूज़वेल्ट ने 1973 में इसकी स्थापना की थी। यह सूचकांक तैयार करते समय सरकार का कामकाज, पारदर्शिता, क़ानून व्यवस्था, बहुलतावाद और आस्था व अभिव्यक्ति की आज़ादी को ध्यान में रखा जाता है।
इस रिपोर्ट में जिन 25 सबसे अधिक आबादी वाले लोकतांत्रिक देशों को शामिल किया गया है, उसमें भारत की गिरावट सबसे अधिक है।
इस रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर सवाल उठाए गए हैं।
इस सूचकांक में कश्मीर की स्थिति पर अलग से चर्चा की गई है। इस रिपोर्ट में नागरिकता संशोधन क़ानून, एनआरसी की भी चर्चा की गई है। इसके साथ ही सरकार के कामकाज के तरीके और विरोध को बलपूर्वक कुचलने की कोशिशों की भी चर्चा की गई है।
इस रिपोर्ट में अमेरिका और चीन की भी तीखी आलोचना की गई है। इसमें अल्जीरिया, इन्डोनेशिया, हॉन्गकॉन्ग, सूडान, इथियोपिया, इराक़ व ईरान जैसे देशों की भी बात की गई है।
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