केंद्र सरकार भले ही यह दावा करे कोरोना से लड़ाई में उसने कई देशों से बेहतर काम किया है और लाखों लोगों की ज़िन्दगी बचाई है, सच यह है कि कोरोना जाँच में ही भारत फिसड्डी साबित हुआ है। सही संख्या में जाँच होने पर ही संक्रमण की स्थिति का पता लगाया जा सकता है, उस पर अध्ययन किया जा सकता है और रोकथाम की योजना बनाई जा सकती है।
पर यदि जाँच ही न हो या कम हो या रोकथाम नहीं बल्कि मामला छुपाना उसका मक़सद हो तो रोग के ख़िलाफ़ नहीं लड़ा जा सकता है। इसके बावजूद यदि रोज़ाना 50 हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आएं तो स्थिति की भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है।
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कोरोना जाँच के मामले में भारत किस तरह पिछड़ा हुआ है, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सबसे अधिक कोरोना मामलों वाले 20 देशों में सिर्फ तीन देश पाकिस्तान, मेक्सिको और बांग्लादेश इससे पीछे हैं।
कोरोना जाँच की दर
टाइम्स आफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में प्रति दस लाख की जनसंख्या पर 18,000 लोगों की कोरोना जाँच की जा गई है। यह ब्रिटेन, अमेरिका और रूस की तुलना में बहुत ही कम है। ब्रिटेन में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 2.70 लाख की जाँच हुई है।अमेरिका में प्रति 5 व्यक्ति पर एक की जाँच हुई है यानी प्रति दस लाख लोगों पर दो लाख लोगों का टेस्ट किया गया है। भारत में प्रति 50 आदमी पर एक की जाँच हुई है। यानी अमेरिका मे कोरोना जाँच की जो रफ़्तार है, भारत में उसके पाँचवे हिस्से की ही जाँच हो रही है।
बड़े 20 देशों से तुलना करने पर पाया गया है कि उनके औसत से बहुत पीछे भारत का औसत है। इन देशों में प्रति दस लाख लोगों पर 62 हज़ार लोगों की कोरोना जाँच हुई है, पर भारत में वह दर 18 हज़ार है यानी, एक तिहाई से भी कम।
ब्रिटेन में 15 गुणे ज़्यादा जाँच
टाइम्स आफ इंडिया में छपे एक अध्ययन से साफ़ पता चलता है कि भारत में प्रति दस लाख लोगों पर जितने लोगों की जाँच की गई है, ब्रिटेन में उससे 15.2 गुणे अधिक जाँच हुई है। अमेरिका, रूस, फ्रांस जैसे विकसित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वाले देशों की बात हम न करें तो सऊदी अरब में भी भारत की तुलना में 6 गुणे अधिक टेस्ट हुए हैं।और तो और, लातिन अमेरिकी देश चिली में भारत की तुलना में 5.4 गुणे तो पेरू में 4.4 गुण अधिक टेस्ट हुए हैं। इस मामले में ब्राज़ील, तर्की, अर्जेंटीना तो छोड़िए, ईरान तक में भारत से अधिक कोरोना टेस्ट हुए हैं।
22 लाख संक्रमित
भारत में इतने कम लोगों की जाँच होने के बावजूद अब तक 22.68 लाख लोगों में कोरोना का संक्रमण पाया जा चुका है। बीते 24 घंटे में 53,601 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।स्थिति की गंभीरता का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि बीते रविवार को पूरी दुनिया में जितने कोरोना मामले सामने आए, उनका 29 प्रतिशत सिर्फ भारत से था। जितने लोग इस रोग से मारे गए, उसका 21 प्रतिशत लोग भारत से थे।
अगस्त में भारत में सबसे तेज़ रफ़्तार
इसे एक और संख्या से देखते तो हैं तो अधिक भयानक तसवीर उभर कर सामने आती है। इस महीने यानी अगस्त के पहले के 9 दिनों में भारत में कुल 5,19,351 नए लोग कोरोना से संक्रमित निकले। इस दौरान अमेरिका में 4,93,376 और ब्राजील में 3,69,284 लोगों में कोरोना पाया गया। यानी, इन 9 दिनों में सबसे ज्यादा कोरोना मामले भारत में पाए गए, अमेरिका और ब्राज़ील से ज़्यादा। अब भारत में कोरोना से होने वाली मौतों पर एक नज़र डालते हैं। सोमवार यानी 10 अगस्त तक भारत में कोरोना से मरने वालों की तादाद 45 हज़ार पार कर चुकी थी।एमआईटी की भविष्यवाणी सच होगी?
ऐसे में कुछ दिन पहले अमेरिकी संस्थान मैसाच्युसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ने जो शोध नतीजे दिए, उस ओर लोगों का ध्यान जाता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीच्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते टीका या दवा की इजाद नहीं की गई तो भारत की स्थिति सबसे बुरी होगी और यहाँ संक्रमितों की तादाद 2.87 लाख प्रतिदिन हो सकती है।एमआईटी के स्लोअन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट ने कोरोना संक्रमण के फैलने पर एक शोध किया है। हाज़िर रहमानदाद, टी. वाई. लिम और जॉन स्टर्मन की टीम ने शोध में पाया कि जाड़े के अंत तक 2021 में भारत में कोरोना रोगियों की संख्या सबसे अधिक हो सकती है।
तो क्या भारत वाकई उसी दिशा में बढ़ रहा है?
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