एक रिपोर्ट के अनुसार देश में छात्रों की आत्महत्या की दर चिंताजनक दर से बढ़ रही है। यह दर जनसंख्या वृद्धि और कुल आत्महत्या दर दोनों से कहीं ज़्यादा है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आँकड़ों के आधार पर तैयार की गई है।
भारत में छात्रों की आत्महत्या की दर तेज़ी से बढ़ रही है: रिपोर्ट
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- 29 Mar, 2025
पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की खतरनाक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। जानिए, रिपोर्ट में और क्या कहा गया है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना 2% की वृद्धि हुई है, जबकि छात्रों की आत्महत्या की दर में 4% की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ये आँकड़े कम रिपोर्ट किए गए हो सकते हैं। इसका मतलब है कि और भीर गंभीर समस्या की संभावना है। पीटीआई के अनुसार रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो दशकों में छात्र आत्महत्याएं 4 प्रतिशत की खतरनाक वार्षिक दर से बढ़ी हैं, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है। 2022 में कुल छात्र आत्महत्याओं में पुरुष छात्रों की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी। 2021 और 2022 के बीच पुरुष छात्र आत्महत्याओं में 6 प्रतिशत की कमी आई, जबकि महिला छात्र आत्महत्याओं में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।