दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली को हिन्दू राष्ट्र का पहला जिला बनाने की घोषणा के मामले में केस दर्ज किया है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कल रविवार 9 अप्रैल को पूर्वोत्तर दिल्ली के करावल नगर में 'हिन्दू पंचायत' हुई थी, जिसे संयुक्त हिंदू मोर्चा ने आयोजित किया था। पंचायत में सदस्यों ने "हिंदू राष्ट्र" बनाने और "लव जिहाद" के पीछे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पुलिस ने बताया कि हिन्दू पंचायत कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं लेने के लिए आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। पुलिस उपायुक्त (पूर्वोत्तर) जॉय तिर्की ने कहा, आयोजकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 188 के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने कार्यक्रम के लिए हमसे अनुमति नहीं ली।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक वहां मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए, बीजेपी सदस्य और यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने कहा: हमारा उद्देश्य पूर्वोत्तर दिल्ली को पहला हिंदू राष्ट्र जिला बनाना है। गोयल ने कहा कि 2025 में आरएसएस के 100 साल पूरे होने से पहले उसका लक्ष्य देश को हिंदू राष्ट्र बनाने का सपना पूरा करना है।
गोयल ने करावल नगर के निवासियों से अपने घरों को मुसलमानों को न बेचने और उनके साथ व्यापार करने से परहेज करने को कहा। उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगों का जिक्र करते हुए, गोयल ने आरोप लगाया कि क्षेत्र को "मिनी पाकिस्तान" में बदलने की योजना थी।उन्होंने कहा, हम हिंदुओं की रक्षा के लिए पंचायत और विधानसभा स्तर पर इकाइयां बना रहे हैं।
इस कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ सत्यनारायण जटिया और भाजपा सदस्य राम अवतार गुप्ता शामिल थे।
कार्यक्रम में पैनलिस्टों ने दर्शकों को शिवस्त्र वितरित किया। उन्हें हिन्दू राष्ट्र की शपथ दिलाई गई और उनके सीने पर जय हिंदू राष्ट्र का बिल्ला लगाया गया।
हिन्दू पंचायत में कथित तौर पर अभद्र भाषा बोले जाने के बारे में पूछे जाने पर, दिल्ली पुलिस के डीसीपी तिर्की ने कहा, यह जांच का हिस्सा है। अभी के लिए, हमने आयोजकों को नियमों का उल्लंघन करने के लिए बुक किया है।
इस बीच दिल्ली भाजपा के एक प्रवक्ता ने आज कहा कि इस आयोजन को पार्टी की मंजूरी नहीं थी और गोयल पार्टी के किसी पद पर नहीं हैं।
बता दें फरवरी 2020 में, पूर्वोत्तर दिल्ली में हुए हिन्दू-मुस्लिम दंगों में 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए थे। मारे गए अधिकांश लोग मुसलमान थे। दिल्ली के सैकड़ों युवक दंगे के आरोप में दिल्ली में गिरफ्तार किए गए थे। अभी भी अधिकांश जेलों में हैं।
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