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अडानी को झटका देने वाला हिंडनबर्ग रिसर्च बंद क्यों हो रहा है?

जिस हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह को एक समय बड़ा झटका दिया था उसने अब अपनी फर्म को बंद करने की घोषणा कर दी है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्टों के बाद संबंधित कंपनियों में निवेशकों ने भारी बिकवाली की और अधिकारियों ने जाँच की कार्रवाई की। इसका नतीजा ये निकला कि भारत के अडानी समूह, अमेरिका के निकोला जैसी कंपनियों के अरबों रुपये सफाया हो गए। जिस हिंडनबर्ग रिसर्च ने दुनिया भर की दर्जनों कंपनियों को बड़े झटके दिए, उसने आख़िर अब एकाएक से फर्क को बंद करने की घोषणा क्यों की?

इस सवाल का जवाब तो सीधे-सीधे नहीं दिया गया है, लेकिन 2017 में हिंडनबर्ग की शुरुआत करने वाले नाथन एंडरसन ने बुधवार को इसकी वजहें कुछ बताई हैं। उन्होंने इसे बंद करने का कारण क्या बताया है, यह जानने से पहले यह जान लीजिए कि आख़िर इसने किन परिस्थितियों में फर्म को बंद करने का फ़ैसला लिया है।

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हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने की घोषणा तब की गई है जब अमेरिकी रिपब्लिकन कांग्रेस के सदस्य लांस गुडेन ने कुछ दिनों पहले अमेरिकी न्याय विभाग के अटॉर्नी जनरल मेरिक बी गारलैंड को एक पत्र लिखा था। इसमें इस बात पर सफ़ाई मांगी गयी थी कि न्याय विभाग भारत से बाहर स्थित अडानी समूह के खिलाफ मामला क्यों चला रहा है।

दरअसल, ऐसा तब हुआ जब न्यूयॉर्क में एक ग्रैंड जूरी ने पिछले साल 20 नवंबर को अडानी और सात अन्य लोगों पर रिश्वतखोरी की योजना के आरोप लगाए। अमेरिका में गौतम अडानी पर आरोप लगा है कि उन्होंने भारत में एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 2000 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की योजना बनाई। हालाँकि अडानी समूह ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि इस मामले को क़ानूनी रूप से निपटा जाएगा।

इसी अडानी समूह को लेकर जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने भारत में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया था। उस साल 24 जनवरी की एक रिपोर्ट में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर स्टॉक में हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया। रिपोर्ट में कहा गया था कि उसने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।
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हिंडनबर्ग अमेरिका आधारित निवेश रिसर्च फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एक्सपर्ट है। रिसर्च फर्म ने तब कहा था कि उसकी दो साल की जांच में पता चला है कि अडानी समूह दशकों से 17.8 ट्रिलियन (218 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के स्टॉक के हेरफेर और अकाउंटिंग की धोखाधड़ी में शामिल था। फ़र्म की रिपोर्ट के मुताबिक़ अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने तीन सालों के दौरान लगभग 120 अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ अर्जित किया था जिसमें से अडानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक मूल्य की बढ़ोतरी से 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कमाये। इसमें पिछले तीन साल की अवधि में 819 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कैरेबियाई देशों, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स हैवन देशों में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियों का कथित नेक्सस बताया गया था। तब से अडानी समूह ने लगातार इन आरोपों का खंडन किया है।

तब हिंडनबर्ग रिसर्च के उस आरोप पर अडानी समूह ने कहा था कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे से ऐसा आरोप लगाया गया। इसने कहा था कि अडानी समूह आईपीओ की तरह ही फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र यानी एफ़पीओ ला रहा था और इस वजह से एक साज़िश के तहत कंपनी को बदनाम किया गया। वह रिपोर्ट अडानी समूह के प्रमुख अडानी एंटरप्राइजेज की 20,000 करोड़ रुपये की फॉलो-ऑन शेयर बिक्री से पहले आई थी। समूह ने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर यानी एफपीओ को बाद में वापस ले लिया था।

हिंडनबर्ग ने पिछले साल अगस्त में एक और रिपोर्ट जारी की थी जिसमें दावा किया गया था कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चलता है कि सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच की अडानी मनी साइफनिंग स्कैंडल में इस्तेमाल की गई संदिग्ध ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी।

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया कि कंपनियों में इन हिस्सेदारी की वजह से ही उन्होंने अडानी को लेकर पहले किए गए खुलासे के मामले में कार्रवाई नहीं की।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने बाजार नियामक सेबी से जुड़े हितों के टकराव के सवाल को उठाया था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि 'उसे संदेह है कि अडानी समूह में संदिग्ध ऑफशोर शेयरधारकों के खिलाफ सार्थक कार्रवाई करने में सेबी की अनिच्छा की एक खास वजह हो सकती है। सेबी की अध्यक्ष माधबी बुच की गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी द्वारा इस्तेमाल किए गए ठीक उसी फंड का इस्तेमाल करने में मिलीभगत हो सकती है।' बुच ने इन आरोपों से इनकार किया था और उन्हें 'दुर्भावनापूर्ण, शरारती और चालाकीपूर्ण' करार दिया था।

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बहरहाल, अब यही हिंडनबर्ग रिसर्च बंद हो रहा है। फर्म के संस्थापक और प्रमुख नाथन एंडरसन ने फर्म की आधिकारिक वेबसाइट पर एक व्यक्तिगत नोट लिखा है। उन्होंने कहा कि इस काम को छोड़ने का कोई खास कारण नहीं था, हालांकि यह काम की गंभीरता और फोकस लोगों और अनुभवों के खोने की क़ीमत पर आया था। उन्होंने कहा, 'मेरे परिवार और दोस्तों, मैं उन पलों के लिए माफ़ी चाहता हूँ जब मैंने आपको अनदेखा किया और अपना ध्यान भटकने दिया। मैं आपके साथ और ज़्यादा समय बिताने के लिए बेताब हूँ।'

उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैंने पिछले साल के अंत से परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया है, मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को भंग करने का निर्णय लिया है। योजना यह थी कि हम जिन विचारों पर काम कर रहे थे, उनको पूरा करने के बाद इसे बंद कर देंगे। और पिछले पोंजी मामलों के अनुसार, जिन्हें हमने अभी पूरा किया है और नियामकों के साथ साझा कर रहे हैं, वह दिन आज है।' उन्होंने कहा कि अगला कदम हिंडनबर्ग ने अपनी जांच कैसे की, इस बारे में ओपन सोर्स जानकारी उपलब्ध कराने पर काम करना है।

अपने निजी नोट में एंडरसन ने लिखा कि लगभग 100 व्यक्तियों पर विनियामकों द्वारा कम से कम आंशिक रूप से उनकी फर्म के काम के कारण दीवानी या आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिनमें अरबपति और कुलीन वर्ग शामिल हैं।

उन्होंने कहा, 'हमने कुछ साम्राज्यों को हिला दिया, जिन्हें हमें हिलाने की ज़रूरत थी।'

जिन समूहों के खिलाफ हिंडनबर्ग ने आरोप लगाए, उनमें से कुछ में फिनटेक कंपनी एबिक्स, इंक., यूटा के वित्तीय प्रभावकार आरोन वैगनर द्वारा संचालित एक निवेश फर्म वैग्स कैपिटल, एक निजी निवेश फर्म नानबन वेंचर्स और एक अफ्रीकी फिनटेक समूह टिंगो ग्रुप शामिल हैं।

एंडरसन ने नोट में लिखा है, 'मुझे शुरू में नहीं पता था कि क्या कोई संतोषजनक रास्ता खोजना संभव होगा। यह एक आसान विकल्प नहीं था, लेकिन मैं खतरे के प्रति भोला था और चुंबकीय रूप से इसकी ओर आकर्षित हुआ। ...अब मैं हिंडनबर्ग को अपने जीवन का एक अध्याय मानता हूं, न कि एक केंद्रीय चीज जो मुझे परिभाषित करती है।'

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क़मर वहीद नक़वी
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