हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में अडानी पर लगाए गए गंभीर आरोपों को अडानी समूह ने भारत पर हमला बताया है। अडानी ने कहा - यह भारत और उसकी संस्थाओं के विकास की कहानी पर "सुनियोजित हमला" है। आरोप झूठ के अलावा कुछ नहीं हैं।
हालांकि हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में तमाम तथ्यों के आधार पर अडानी समूह को घेरा है। लेकिन अडानी समूह ने अपनी रिपोर्ट में तथ्यों का सिलसिलेवार खंडन नहीं किया। मसलन, अडानी को एसबीआई समूह से मिले कर्ज पर कुछ नहीं कहा गया। लेकिन यह भारत पर किस तरह का हमला है, अडानी समूह ने यह नहीं बताया। भारत के तमाम उद्योग समूह भ्रष्टाचार के आरोपों में घिर चुके हैं। क्या उद्योग समूह के मामलों में जांच की मांग भारत पर हमला हैं। यह सारे सवाल अडानी के जवाब देने पर उठे हैं। आमतौर पर भारत सरकार यह तय करती है कि किसी विदेशी संस्था की रिसर्च रिपोर्ट भारत पर हमला है या नहीं। अगर केंद्र की मोदी सरकार कहती है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट भारत पर हमला है, तभी यह बात मानी जाएगी। भारत सरकार ने अभी तक न तो इसे भारत पर हमला बताया और न ही किसी तरह की जांच का आदेश दिया है।
पीटीआई के मुताबिक अडानी समूह ने रविवार को 413 पन्नों का जवाब जारी किया। अडानी ग्रुप ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट "झूठा बाजार बनाने" के छिपे हुए मकसद से प्रेरित थी, ताकि अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके।
यह सिर्फ किसी खास कंपनी पर एक अनुचित हमला नहीं है, बल्कि भारत, भारतीय संस्थानों की स्वतंत्रता, अखंडता और गुणवत्ता और भारत की विकास की कहानी और महत्वाकांक्षा पर एक सुनियोजित हमला है।
अडानी समूह ने कहा कि दस्तावेज़ चुनिंदा गलत सूचनाओं का एक दुर्भावनापूर्ण कोऑर्डिनेशन है, जो गुप्त मकसद चलाने के लिए है। यह हितों के टकराव से भरी हुई है। इसका मकसद सिर्फ अनगिनत निवेशकों की कीमत पर गलत तरीके से बड़े पैमाने पर वित्तीय लाभ बुक करने के लिए हिंडनबर्ग ने इस्तेमाल किया।
अडानी समूह ने हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता और नैतिकता पर सवाल उठाया, और कहा कि इस कथित रिसर्च रिपोर्ट को ऐसे समय जारी किया गया, जब अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड भारत में इक्विटी शेयरों की अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक एफपीओ ला रहा था।
अडानी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट को किसी भी परोपकारी वजहों से प्रकाशित नहीं किया है। यह विशुद्ध रूप से स्वार्थी उद्देश्यों से भरी हुई है। रिपोर्ट न तो 'स्वतंत्र' है और न ही उसका 'उद्देश्य'। और न ही अच्छी तरह से रिसर्च की गई।
एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने बुधवार को एक रिपोर्ट में आरोप लगाया कि इसकी दो साल की जांच में अडानी समूह को स्टॉक हेराफेरी और अकाउंटिंग धोखाधड़ी में लिप्त पाया गया। इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी समूह को केवल दो ट्रेडिंग सत्र में शेयर बाजार 50 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का नुकसान हुआ है।
हिंडनबर्ग ने अडानी समूह द्वारा सरकारी बैंकों से लिए गए लोन पर सवाल उठाते हुए कहा कि अडानी समूह ने लोन के लिए सरकारी बैंकों के शेयरों तक को गिरवी रखा। अडानी के दुबई स्थित भाई को भी निशाना बनाया गया है।
अदानी समूह ने कहा कि हिंडनबर्ग द्वारा उठाए गए 88 सवालों में से 65 मामले तो अडानी पोर्टफोलियो कंपनियों से संबंधित हैं, जिन्होंने अपने-अपने पोर्टफोलियो का विधिवत खुलासा पहले से ही किया हुआ है। बाकी 23 सवालों में से 18 सार्वजनिक शेयरधारकों और थर्ड पार्टी (जो अडानी पोर्टफोलियो की कंपनियां नहीं हैं) से संबंधित हैं, जबकि शेष 5 सवाल काल्पनिक तथ्यों पर हैं, उनमें एक पैटर्न दिख रहा है और सभी आरोप निराधार हैं।
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