केंद्र सरकार ज़ाइडस कैडिला से कोरोना टीके की एक करोड़ खुराकें खरीदेगी। ज़ाइकोव-डी नामक यह टीका 12 साल से अधिक के उम्र के लोगों को दिया जा सकेगा।
लेकिन सीमित उत्पादन क्षमता की वजह से शुरू में सिर्फ वयस्कों को ही यह टीका दिये जाने की संभावना है।
इस दवा की कीमत 265 रुपए होगी, लेकिन इसे लगाने के लिए 93 रुपए का एक जेट एप्लीकेटर भी खरीदना होगा। इस तरह एक टीके पर 358 रुपए का खर्च बैठेगा।
हर व्यक्ति को तीन खुराकें
हर व्यक्ति को इसकी तीन खुराकें लेनी होंगी, दूसरी और तीसरी खुराकें 28 दिनों के अंतराल पर लेनी होंगी।
यह दुनिया का पहला डीएनए- आधारित कोरोना टीका है, जिसे लेने के लिए इंजेक्शन की ज़रूरत नहीं होगी। यह देश में ही विकसित किया गया है। इसे 20 अगस्त को मंजूरी मिली।
ज़ाइडस कैडिला के प्रबंध निदेशक डॉक्टर शरविल पटेल ने एनडीटीवी से कहा,
“
हम सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम का समर्थन करते हैं। इंजेक्शन के बग़ैर ही इसका इस्तेमाल होने की वजह से अधिक लोग इसे लेने के लिए प्रेरित होंगे, यह 12 साल से 18 साल की उम्र के लोगों के लिए बेहतर विकल्प है।
डॉक्टर शरविल पटेल, प्रबंध निदेशक, ज़ाइडस कैडिला
दूसरी ओर, इस कोरोना वैक्सीन पर सरकार को नेशनल टेक्निकल एडवाइज़री ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन की सिफ़ारिश का इंतजार है। इस ग्रुप से टीकाकरण का प्रोटोकॉल तय होने के बाद ही इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।
ज़ाइडस कैडिला ने कहा है कि उसकी वैक्सीन ज़ाइकोव-डी की 10 से 12 करोड़ खुराक सालाना बनाने की योजना है। उसने वैक्सीन का स्टॉक करना शुरू भी कर दिया है।
कंपनी ने कहा है कि राष्ट्रव्यापी 28,000 से अधिक वोलिंटियर्स पर तीसरे चरण का परीक्षण किया और उसमें 66.6 प्रतिशत की प्रभावकारिता रही।
ज़ाइडस कैडिला ने जैव प्रौद्योगिकी विभाग के साथ साझेदारी में इस टीके को विकसित किया है।
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बच्चों के टीकाकरण पर ज़ोर
इसके पहले विशेषज्ञ पैनल ने भारत बायोटेक के कोवैक्सीन टीके को 2 से 18 वर्ष के बच्चों को लगाने के लिए सिफारिश कर दी थी। अब इसकी मंजूरी पर आख़िरी फ़ैसला डीसीजीआई यानी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया लेगा। इसकी मंजूरी मिलते ही बच्चों को यह टीका लगाया जा सकता है।
सरकार का कहना है कि करीब 100 करोड़ वयस्कों को टीके लगाए जा चुके हैं और अब बच्चों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
बच्चों के लिए तीसरा संभावित टीका सीरम इंस्टीट्यूट का नोवावैक्स है, जिसके लिए पिछले महीने डीसीजीआई ने सात से 11 साल के बच्चों के लिए ट्रायल को मंजूरी दे दी है। वह ट्रायल अभी जारी है।
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