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भारत में लोगों को कोरोना वैक्सीन की क्या अलग-अलग डोज़ दी जाएंगी, इसे लेकर उठ रहे सवालों पर केंद्र सरकार ने जवाब दिया है और स्थिति साफ करने की कोशिश की है। केंद्र ने मंगलवार को कहा है कि भारत में कोरोना वैक्सीन की डोज़ को तब तक मिक्स नहीं किया जाएगा, जब तक इसके प्रभाव को लेकर ज़रूरी वैज्ञानिक सबूतों को इकट्ठा नहीं कर लिया जाता।
केंद्र ने यह भी साफ किया है कि टीकाकरण के लिए बनाए गए दिशा-निर्देशों में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है और सभी लोगों को कोविशील्ड और कोवैक्सीन को दो-दो डोज़ लगाई जाएंगी।
बीते कुछ दिनों से कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग डोज़ लगाए जाने की चर्चा थी और इससे क्या नुक़सान होंगे या कोई फ़ायदा होगा, इसे लेकर वैज्ञानिकों और तमाम लोगों के बीच में बातचीत हो रही थी।
हालांकि सरकार की ओर से बनाए गए एक विशेषज्ञ पैनल ने हाल ही में कहा है कि भारत इस बात की जांच शुरू कर सकता है कि अगर किसी को कोरोना वैक्सीन की अलग-अलग डोज़ दी जाएं तो क्या इससे इम्यून सिस्टम मजबूत होगा।
केंद्र सरकार की ओर से कोरोना महामारी से लड़ने के लिए बनाई गई टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा था कि सरकार ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन को लगाए जाने में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया है।
उन्होंने कहा था कि कोविशील्ड की दूसरी डोज़ पहली डोज़ लगने के 12 हफ़्तों के बाद जबकि कोवैक्सीन की दूसरी डोज़ पहली डोज़ लगने के 4-6 हफ़्ते के बाद दी जाएगी। डॉ. पॉल ने कहा था कि सरकार इसी लाइन पर टीकाकरण की नीति को जारी रखेगी।
वैक्सीन को मिक्स किए जाने को लेकर डॉ. पॉल ने कहा था कि यह हमारे वैक्सीन कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है और अभी और शोध किए जाने की ज़रूरत है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर ज़िले में हुए एक वाक़ये के बाद वैक्सीन की अलग-अलग डोज़ लगाने की चर्चा ने जोर पकड़ा था। यहां के एक गांव में अप्रैल के पहले हफ़्ते में क़रीब 20 लोगों को कोविशील्ड की पहली डोज़ लगी थी और 14 मई को कोवैक्सीन की दूसरी डोज़ लगा दी गई। हालांकि इन लोगों में कोई गंभीर दुष्प्रभाव की शिकायत नहीं आई है, लेकिन इसे लापरवाही माना गया और जांच के आदेश दिए गए हैं।
यूरोप के कुछ देशों में भी अलग-अलग कंपनियों की वैक्सीन लगाकर इसका ट्रायल किया जा रहा है आख़िर इससे क्या असर होगा। इस पर अभी काफी शोध होना है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक शोध में पाया गया है कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा ख़तरा नहीं है, लेकिन दुष्प्रभाव पहले से ज़्यादा होते हैं। अभी यह साफ़ नहीं है कि वैक्सीन का यह मिक्स कॉकटेल कोरोना के ख़िलाफ़ कितनी इम्युनिटी देता है।
यह शोध ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी-एस्ट्राज़ेनेका कंपनी की कोविशील्ड वैक्सीन और फाइजर की वैक्सीन को लेकर किया गया था। इसमें यही देखने की कोशिश की गई थी कि क्या दो अलग-अलग डोज़ देने पर लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रहती है। फरवरी से ही इस पर शोध जारी है।
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