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छात्रों की ये वाली स्कॉलरशिप रोकी, उधर, चेहरा चमकाने पर 62 करोड़ खर्च कर डाले

केद्र सरकार ने पिछले तीन वर्षों में परीक्षा पे चर्चा पर ₹62 करोड़ से अधिक खर्च किए। इस वार्षिक कार्यक्रम में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्कूली बच्चों को परीक्षा की तैयारी पर सलाह देते हैं। 2025 में भी इसे आयोजित किया जा रहा है और उसके लिए केंद्र सरकार ने पोस्टर भी जारी कर दिया। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसकी आलोचना करते हुए द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट सोशल मीडिया पर शेयर की है, जिसमें कहा गया है कि एक तरफ तो सरकार ने स्टूडेंट्स में मशहूर नेशनल टैलेंट सर्च परीक्षा (एनटीएसई) की स्कॉलरशिप रोक दी, दूसरी तरफ परीक्षा पे चर्चा मोदी का चेहरा चमकाने की एक गतिविधि बनकर रह गई है। इस पर अब तक 62 करोड़ रुपये खर्च कर दिये गये।
टेलीग्राफ की खबर में कहा गया कि पिछले तीन वर्षों में एनटीएसई के जरिये स्कूली बच्चों को उनके डॉक्टरेट कार्यक्रमों तक दी जाने वाली स्कॉलरशिप को भी निलंबित कर दिया गया। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से परीक्षा स्थगित करने को कहा है।
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प्रियंका का हमला

वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने एक्स पर लिखा- प्रगति के विजन पर प्रधानमंत्री जी का पीआर (पब्लिक रिलेशन) हावी है। 1963 में शुरू हुई 'National Talent Search Examination' Scholarship से तमाम बच्चों के भविष्य का रास्ता बना, वे देश की प्रगति के भागीदार बने, उनके लिए अच्छी शिक्षा के द्वार खुले। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले तीन सालों से इस Scholarship को रोक दिया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री जी के निजी प्रचार के लिए परीक्षा पर चर्चा जारी है। तीन सालों में स्कॉलरशिप पर 40 करोड़ खर्च होते, जबकि प्रचार पर 62 करोड़ खर्च किए गए। स्कॉलरशिप बंद होने से लाखों युवाओं के उज्जवल भविष्य का रास्ता बंद हो गया, लेकिन प्रधानमंत्री जी का पीआर बंद नहीं हुआ।
टेलीग्राफ की रिपोर्ट में कहा गया है-  अगर स्कॉलरशिप जारी रखी जाती, तो पिछले वर्षों के खर्च पैटर्न को देखते हुए, इन तीन वर्षों में इस पर कुल खर्च ₹40 करोड़ से कम होता। कुछ सरकारी अधिकारियों ने सुझाव दिया कि केंद्र ने स्कॉलरशिप पर अपने खर्चों में कटौती करने की योजना के तहत एनटीएसई को ही निलंबित कर दिया है।
कई शिक्षाविदों और अभिभावकों ने केंद्र सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाते हुए कहा कि परीक्षा पे चर्चा (पीपीसी) प्रधानमंत्री की ओर से दोहराए जाने वाले "जनसंपर्क" (पीआर) और "आत्म-प्रशंसा" गतिविधि से कुछ ज्यादा नहीं है, जबकि स्कॉलरशिप हकीकत में स्टूडेंट्स की मदद कर सकती थी।
परीक्षा पे चर्चा हर साल जनवरी या फरवरी में दिल्ली के किसी स्थान पर आयोजित की जाती है जहां विभिन्न राज्यों और स्कूलों के स्टूडेंट्स को लाया जाता है। मोदी चुनिंदा सवालों के जवाब देते हैं। इनमें कुछ जवाब पहले से रिकॉर्ड किए गए सवालों के भी होते। इस इवेंट का खर्च शिक्षा मंत्रालय उठाता है।
परीक्षा पे चर्चा की शुरुआत 2018 में हुई थी। पहले इवेंट पर हुए खर्च के आंकड़े मौजूद नहीं हैं। लेकिन उसके बाद छह वर्षों के आंकड़े बताते हैं कि कुल खर्च ₹78.83 करोड़ रहा है, जबकि पिछले तीन वर्षों में खर्च ₹62.20 करोड़ आया है। 2022-23 के इवेंट को लेकर लगभग 38 लाख "प्रतिभागियों" को प्रधान मंत्री के लेटरहेड पर प्रशंसा पत्र छापने और भेजने की अतिरिक्त लागत शामिल थी, जिन्होंने परीक्षा पे चर्चा पोर्टल पर खुद को रजिस्टर्ड किया था और देखा था।
आरटीआई के जरिये टेलीग्राफ को मिले आंकड़ों और दस्तावेजों से पता चलता है कि नेशनल बुक ट्रस्ट, जिस एजेंसी को यह काम सौंपा गया था, ने लागत का अनुमान लगभग ₹28 करोड़ लगाया था। यह इवेंट के आयोजन पर कुल खर्च किए गए ₹10 करोड़ से अतिरिक्त था।
2023-24 में, सरकार ने लागत बचाने के लिए प्रशंसा पत्र ऑनलाइन भेजे। फिर भी उस साल का खर्च ₹16 करोड़ तक पहुंच गया।
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध राजधानी कॉलेज के फैकल्टी सदस्य और एक स्कूली छात्रा के पिता राजेश झा ने टेलीग्राफ से कहा कि एनटीएसई स्कूली बच्चों में सबसे अधिक मांग वाली स्कॉलरशिप है, जो हायर स्टडी के लिए प्रोत्साहित करती है और पैसे की मदद के अलावा उनके आत्मविश्वास को बढ़ाती है। उन्होंने कहा, "इसके साथ कोई भी समझौता शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता और नवाचार (innovation) के लिए हानिकारक है।"
प्रतिभा की पहचान और आगे बढ़ाने के लिए 1963 में एनटीएसई स्कॉलरशिप शुरू की गई थी। यह परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाती है। अंत में 2,000 छात्रवृत्ति पुरस्कार विजेताओं के अंतिम चयन के लिए राष्ट्रीय परीक्षा होती है। केवल दसवीं कक्षा के छात्र ही इस परीक्षा दे सकते हैं और इसमें सफल बच्चे अपनी पीएचडी पूरी होने तक स्कॉलरशिप प्राप्त करने के पात्र हैं। यह स्कॉलरशिप स्कीम देश में बहुत मशहूर है।
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स्कॉलरशिप पाने वाले छात्र को ग्यारहवी और बारहवी क्लास में हर महीने ₹1,250 और ग्रैजुएट और पोस्ट ग्रैजुएट स्तर पर ₹2,000 प्रति माह मिलते हैं। पीएचडी स्तर पर वजीफा वही है जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के तहत दिया जाता है: यह औसतन ₹37,500 हर महीने पांच साल तक मिलता है।
2021 में सरकार ने एनसीईआरटी से योजना की समीक्षा करने और बदलाव का सुझाव देने को कहा था। समीक्षा समिति ने सितंबर 2022 में अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें कहा गया कि कोचिंग के प्रभाव ने वास्तविक प्रतिभा की पहचान करने के कार्यक्रम के उद्देश्य को विफल कर दिया है।
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क़मर वहीद नक़वी
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