क्या आपको किसी ऐसे केस के बारे में पता है जिसमें लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मारे जाने के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला हो? शायद मिला भी हो तो मुश्किल से ही याद कर पाएँ। क्योंकि लिंचिंग के इतने मामले लगातार आ रहे हैं कि इनको याद रखना ही आसान नहीं है। चाहे वह गो तस्करी, गो हत्या के नाम पर लिंचिंग हो या बच्चों या अन्य चोरी के नाम पर। तबरेज़ अंसारी, अख़लाक़, पहलू ख़ान जैसे बहुचर्चित और देश की राजनीति को हिला देने वाले लिंचिंग के मामले का भी क्या हस्र हुआ, यह सबके सामने है। तबरेज़ लिंचिंग मामले में 11 अभियुक्तों पर से हत्या की धारा हटा ली गई है। उन मामलों का तो कोई हिसाब ही नहीं है जो राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियाँ नहीं बन पाते।
लिंचिंग पर सरकारों को सुप्रीम कोर्ट के डंडे का भी डर नहीं?
- देश
- |
- 11 Sep, 2019
क्या आपको किसी ऐसे केस के बारे में पता है जिसमें लिंचिंग यानी पीट-पीट कर मारे जाने के बाद पीड़ित परिवार को न्याय मिला हो? शायद मिला भी हो तो मुश्किल से ही याद कर पाएँ।

कई घटनाओं के चार साल से ज़्यादा हो गए, लेकिन अंतिम फ़ैसला नहीं आया है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ कहा था कि ऐसे मामलों में छह महीने के अंदर फ़ैसला देने की कोशिश होनी चाहिए। लिंचिंग के लगातार आ रहे मामलों, इसे रोकने में पुलिस और सरकार की नाकामी पर ही सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक दिशा-निर्देश जारी किया था। इसमें राज्य सरकारों, ज़िला प्रशासन और पुलिस को लिंचिंग रोकने की ज़िम्मेदारी दी गई थी और सरकारों को पीड़ित परिवार को तत्काल न्याय सुनिश्चित करने को कहा गया था। लेकिन क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन हो रहा है? क्या क़ानूनी प्रक्रिया सही चल रही है?