मोदी सरकार ने यह तय कर लिया है कि वह किसान आंदोलन के दबाव में नहीं आयेगी और किसी भी हाल में तीनों कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेगी। सरकार की तरफ से अब यह बात साफ शब्दों में कह दी गयी है। सोमवार को किसान और सरकार के बीच बातचीत के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि क़ानून वापस नहीं होगा और किसान सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने के लिये आज़ाद हैं।
हज़ारों किसान पिछले चालीस दिनों से कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे दिल्ली की सीमा से सटे इलाक़ों में डेरा डाले हुए हैं। सरकार के साथ सात दौर की बातचीत हो चुकी है। सातवें दौर में भी कोई नतीजा नहीं निकला। अब अगले राउंड की बातचीत 8 जनवरी को होगी। लेकिन तोमर के बयान से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। जो उम्मीद थी, वह भी टूट सी गयी है।
'कृषि क़ानून रद्द नहीं होगा'
किसान मज़दूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सरवण सिंह पंधेर ने कहा,
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"नरेंद्र तोमर ने हमें साफ कह दिया कि क़ानून रद्द नहीं किए जाएंगे, उन्होंने हमें यहाँ तक कह दिया कि हम चाहें तो इन क़ानूनों को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दें।"
सरवण सिंह पंधेर, अध्यक्ष, किसान मज़दूर संघर्ष समिति
इसके साथ ही पंधेर ने पंजाब के युवाओं से गणतंत्र दिवस के मौके पर बड़ा जुलूस निकालने के लिए तैयारी करने की अपील भी कर दी।
'कृषि क़ानून रद्द करना ही होगा'
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हमारी माँग तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है, हम इससे कुछ भी कम पर किसी सूरत में तैयार नहीं होंगे।"उन्होंने कहा,
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"सरकार के पास कोई विकल्प नहीं है, यदि वह चाहती है कि हम आन्दोलन ख़त्म कर अपने घर लौट जाएं तो उसे इन क़ानूनों को वापस लेना ही होगा।"
राकेश टिकैत, किसान नेता
लेकिन तोमर ने कहा, "दूसरे राज्यों के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से भी कृषि क़ानूनों पर बात की जाएगी। हम तीनों क़ानूनों के हर बिन्दु पर बात करने और आपत्तियों पर विचार कर क़ानूनों में संशोधन करने को तैयार हैं।"
सरकार की ज़िम्मेदारी
सोमवार को खाने-पीने के लिए जब बैठक स्थगित की गई तो नरेंद्र तोमर उद्योग मंत्री पियूष गोयल और कृषि राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ अलग से बात करते रहे, जो क़रीब दो घंटे चली।
बैठक की शुरुआत में आन्दोलन के दौरान मारे गए किसानों की याद में दो मिनट का मौन भी रखा गया। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, "हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है, सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह इसपर जवाब दे।"
सरकार की ज़िद को देखते हुये किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने का फ़ैसला किया है । वो गणतंत्र दिवस पर दिल्ली कूच करने की योजना बना रहे हैं।
'पुलिस ज़्यादती की जाँच हो'
दूसरी ओर, एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय के 35 छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस. ए. बोबडे और दूसरे जजों को चिट्ठी लिख कर कहा है कि आन्दोलन कर रहे किसानों पर हो रहे कथित पुलिस ज़ुल्म की जाँच कराई जाए।
सेंटर फ़ॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज़ के इन छात्रों ने आरोप लगाया है कि शांतिपूर्ण ढंग से आन्दोलन कर रहे किसानों पर "ग़ैर-क़ानूनी ढंग से वॉटर कैनन चलाया गया, आँसू गैस के गोले छोड़े गए और लाठीचार्ज किया गया।"
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