क्या आपकी गुप्त जानकारी वाट्सऐप ही नहीं, ईमेल में भी सुरक्षित नहीं है? वाट्सऐप में जहाँ सॉफ़्टवेयर से सेंध लगाने की ख़बरें आईं वहीं अब ईमेल में भी धोखे से पासवर्ड जैसी गुप्त जानकारी चोरी किए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। वह भी सरकारों द्वारा। इसकी पुष्टि गूगल ने ही की है। यदि आप ईमेल पर संवेदनशील जानकारी रखते हैं तो यह आपके लिए चेतावनी है।
वाट्सऐप यूज़र की जानकारी कथित तौर पर सरकार द्वारा चोरी किए जाने का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा है कि अब गूगल यूज़रों को निशाना बनाए जाने का मामला सामने आया है। इस बात के लिए आगाह ख़ुद गूगल ने ही किया है। इसने कहा है कि भारत में तीन महीने में क़रीब 500 गूगल यूज़र को सरकार समर्थित अटैकर्स ने निशाना बनाया है। गूगल ने अपने यूज़र को जो चेतावनी भेजी है उसमें अटैकर्स द्वारा फ़िशिंग ईमेल भेजने का मामला है। यहाँ फ़िशिंग का मतलब है- पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी व्यक्तिगत और गुप्त जानकारी निकालने के लिए लोगों को प्रतिष्ठित कंपनियों के नाम से ईमेल भेजकर धोखाधड़ी करना। यानी वे ऐसे ईमेल भेजकर यूज़र की जानकारी इकट्ठा करते हैं जिससे अपनी सहूलियत के अनुसार इस्तेमाल कर सकें।
गूगल से पहले वाट्सऐप का जो मामला आया था उसमें भी सरकार के हाथ होने के आरोप लगाए गए थे। कुछ दिन पहले यह ख़बर आई थी कि इजरायली एनएसओ समूह ने पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल कर 1400 वॉट्सऐप यूज़र की निगरानी की गई थी। एनएसओ समूह दावा करता रहा है कि वह इस सॉफ़्टवेयर को सिर्फ़ सरकारों को ही मुहैया कराता है। इसकी क़ीमत भी इतनी ज़्यादा है कि इसे शायद ही कोई निजी तौर पर ख़रीद सकेगा। इसी कारण सरकार पर सवाल उठाए गए थे। इसको लेकर कांग्रेस ने भी निशाना साधा था।
वॉट्सऐप यूज़र की जासूसी की ख़बर के सामने आने के बाद जब भारत में हंगामा मचा तो गृह मंत्रालय और सूचना प्रसारण मंत्रालय ने कहा था कि इस मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं है। तब सरकार ने वॉट्सऐप को नोटिस भेजकर पूछा था कि वह बताए कि निजता का उल्लंघन करते हुए कैसे भारतीय यूज़र को निशाना बनाया गया। हालाँकि, इसके बाद भी यह सवाल उठा था कि क्या केंद्र सरकार लोगों की जासूसी करवा रही है। इसे लेकर संसद में भी सवाल पूछा गया कि क्या सरकार ने इजरायली समूह के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल वॉट्सऐप कॉल और संदेशों को टैप करने के लिए किया था। हालाँकि सरकार ने इस पर साफ़ जवाब नहीं दिया है।
सवाल उठने का एक कारण यह भी है कि वॉट्सऐप ने स्वीकार किया था कि लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान दो हफ़्ते के लिये भारत में कई पत्रकारों, शिक्षाविदों, वकीलों, मानवाधिकार और दलित कार्यकर्ताओं पर नज़र रखी गई थी।
अब गूगल ने भी ऐसे लोगों पर ही ज़्यादा ख़तरे की बात कही है। गूगल के अनुसार, इस तरह के हमले के लिए सबसे ज़्यादा पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और राजनीतिक अभियान निशाने पर रहे हैं।
गूगल ने यह भी कहा है कि ऐसे समूहों का उद्देश्य ख़ुफिया जानकारी जुटाना, असहमत होने वाले कार्यकर्ताओं या विरोधियों पर हमला करना, बौद्धिक संपदा चुराना या फिर झूठी ख़बर फैलाना हो सकता है।
दरअसल, गूगल ने दुनिया भर में 12000 फ़िशिंग हमले की ऐसी चेतावनी दी है जिसमें से क़रीब 500 भारत से जुड़े हैं। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, हालाँकि इसने यह साफ़ नहीं किया है कि सरकारों ने इन फ़िशिंग ईमेल से अपने नागरिकों को निशाना बनाया है या फिर दूसरे देशों के नागरिकों को। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि गूगल ने कहा है कि अधिकतर फ़िशिंग ईमेल पासवर्ड जानने के लिए भेजे गए थे। उदाहरण के लिए इन ईमेल में दावा किया जाता था कि यह ईमेल गूगल से है और आपको अपना पासवर्ड डालना है। गूगल के अधिकारी शेन हंटले ने अपने एक ब्लॉग में इसका ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि ऐसे ख़तरों का विश्लेषण करने वाले गूगल के थ्रेट एनलिटिक्स ग्रुप (टीएजी) ने 50 से ज़्यादा देशों में सरकार समर्थित 270 से ज़्यादा समूहों को पकड़ा है। बता दें कि फ़िशिंग ईमेल एटैक का मामला नया नहीं है। पिछले क़रीब दो-तीन साल से ऐसे मामले लगातार आते रहे हैं।
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