पंजाब से कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि जो लोग वार्ड का चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं रखते, वे कांग्रेस का इतिहास बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कल तक मंत्रियों के चपरासी थे वे अब कांग्रेस के बारे में ज्ञान देते हैं। तिवारी ने कहा कि इससे उन कार्यकर्ताओं को जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी कांग्रेस में लगाई है, उनके मन को ठेस पहुंचती है। तिवारी ने यह बात न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कही।
गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस छोड़ने के बाद पार्टी में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के नेता मनीष तिवारी का भी यह पार्टी नेतृत्व के करीबियों पर जोरदार हमला है।
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में पार्टी छोड़ने के लिए पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि राहुल के आने के बाद सभी वरिष्ठ और तजुर्बेकार नेताओं को किनारे लगा दिया गया और अनुभवहीन और चापलूस लोग पार्टी को चलाने लगे। कुछ इसी ओर मनीष तिवारी ने भी इशारा किया है।
बताना होगा कि G-23 के नेताओं ने साल 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की थी।
तिवारी ने एएनआई से कहा कि सोनिया गांधी को पत्र लिखे जाने के बाद देश के 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं लेकिन कांग्रेस को सभी जगह हार मिली है। उन्होंने कहा कि 2021 में पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में तो कांग्रेस को शून्य सीटें मिली जबकि बाकी राज्यों में भी पार्टी को शिकस्त मिली।
तिवारी ने कहा कि अगर कांग्रेस का ख्याल और भारत का ख्याल एक है तो या तो कांग्रेस के ख्याल में फर्क आ रहा है या फिर भारत के ख्याल में फर्क आ रहा है वरना 1885 से चला आ रहा कांग्रेस और भारत का यह सामंजस्य कैसे टूट रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में आत्मचिंतन की जरूरत है।
पंजाब की आनंदपुर साहिब सीट से सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि दिसंबर 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर पार्टी नेताओं की एक बैठक हुई थी और उस बैठक में जो आम सहमति बनी थी अगर उसे क्रियान्वित किया गया होता तो आज ऐसे हालात नहीं बनते।
‘खैरात में कुछ नहीं मिला’
कांग्रेस नेताओं के द्वारा गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर सवाल उठाने और उन्हें पार्टी के द्वारा सब कुछ दिए जाने के सवाल पर मनीष तिवारी ने एएनआई से कहा कि किसी को खैरात में कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की बगिया को बहुत सारे लोगों ने अपने खून से सींचा है और लोगों ने अपना पूरा जीवन पार्टी में लगाया है।
तिवारी की अलग राय
बता दें कि मनीष तिवारी अग्निपथ योजना से लेकर तमाम कई मामलों में कांग्रेस की लाइन से हटकर अपनी राय व्यक्त करते रहे हैं। तिवारी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं और एक वक़्त में राहुल गांधी के करीबी नेताओं में शुमार रहे थे। वह कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई, युवक कांग्रेस से चलकर कांग्रेस में आगे बढ़े हैं।
'किराएदार नहीं, हिस्सेदार हैं'
पंजाब के विधानसभा चुनाव के लिए जारी की गई कांग्रेस के स्टार प्रचारकों की सूची में मनीष तिवारी को जगह नहीं दी गई थी। तिवारी ने अपने बयान को दोहराया और कहा कि वह कांग्रेस में किराएदार नहीं है बल्कि हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा कि अगर धक्के मार कर निकालने की कोशिश की जाएगी तो दूसरी बात है और तब देखा जाएगा।
तिवारी ने कहा कि गुलाम नबी आजाद ने जो खत कांग्रेस अध्यक्ष को लिखा है इसके बारे में आजाद ही ढंग से बता सकते हैं।
आजाद कांग्रेस में बागी नेताओं के गुट G-23 के नेता रहे हैं और यह माना जा रहा है कि उनके पार्टी छोड़ने के बाद इस गुट के कुछ और नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।
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