जम्मू कश्मीर के कठुआ में 2017 में मुस्लिम बक्करवाल समुदाय की एक बच्ची के साथ गैंगरेप हुआ। उस मामले के आरोपियों के समर्थन में रैली निकालने वाले शख्स में से एक हाल ही में कांग्रेस पार्टी में शामिल हुआ है। इस पर बीजेपी आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने सवाल उठाया है कि अब ऐसे लोग कांग्रेस में आ रहे हैं और वे लोग भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल होंगे। लेकिन ्यह सवाल उठाने वाले अमित मालवीय ने यह नहीं बताया कि कठुआ गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में तो बीजेपी के लोग भी रहे हैं। बीजेपी ने एक विधायक को मंत्री तक बनवाया। मुद्दा यह है कि ऐसे मामलों में राजनीतिक दलों का चरित्र एक जैसा रहता है- कोई किसी से कम नहीं।
जम्मू कश्मीर कांग्रेस में हाल ही में 17 नेता शामिल हुए हैं। इन नेताओं में वो भी शामिल हैं जो गुलाम नबी आजाद का साथ छोड़कर कांग्रेस से गए थे लेकिन वापस लौट आए। लेकिन इन 17 नामों में से एक नाम पर विवाद है। उसकी शुरुआत बीजेपी की तरफ से हुई। बीजेपी नेता और आईटी सेल का काम देखने वाले अमित मालवीय ने 7 जनवरी को ट्वीट किया कि विजय टगोत्रा उन 17 लोगों में से है, जिसने कठुआ गैंगरेप केस के आरोपियों का समर्थन किया था। वो अब राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे। यह शर्मनाक है।
Vijay Tagotra is one of the 17 leaders who joined the Congress in J&K yesterday. Among his other achievements, he actively supported the Kathua rape accused, who had violated and killed 8 year old Asifa. He will likely be part of Rahul Gandhi’s Bharat Jodo Yatra. SHAMEFUL! pic.twitter.com/0FjiCy9H4Q
— Amit Malviya (@amitmalviya) January 7, 2023
अपने गिरेबान में झांकने को तैयार नहीं
यही सही है कि कांग्रेस में शामिल विजय टगोत्रा विवादास्पद हैं। उन पर हम आगे बात करेंगे लेकिन बीजेपी अमित मालवीय ने विजय टगोत्रा की आड़ लेकर कांग्रेस पर हमला करते समय इन तथ्यों की जांच नहीं कि उनकी पार्टी का कठुआ गैंगरेप में क्या रुख रहा है। हिन्दू एकता मंच ने जब 2018 में कठुआ गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में रैली निकाली तो उस रैली में बीजेपी कोटे से तत्कालीन महबूबा मुफ्ती सरकार के दो मंत्री भी शामिल हुए थे। ये थे - चंद्र प्रकाश गंगा और लाल सिंह। लेकिन इन दोनों मंत्रियों ने तब इस्तीफा दिया जब पूरे देश में इसे लेकर जबरदस्त प्रदर्शन हुए थे, तब मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी नेतृत्व पर दोनों के इस्तीफे का दबाव बनाया।
Newly-appointed #JammuAndKashmir Deputy Chief Minister #KavinderGupta terms #Kathua incident 'choti si baat', clarifies later
— ANI Digital (@ani_digital) April 30, 2018
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इतना ही नहीं 2018 में बीजेपी पर आरोप लगा था कि वो कठुआ गैंगरेप को हिन्दू-मुसलमान के चश्मे से देख रही थी। तत्कालीन डिप्टी चीफ मिनिस्टर और बीजेपी नेता कविन्दर गुप्ता ने कठुआ घटना को छोटी सी बात बताया था।
2 BJP ministers removed in J&K for attending a pro-rapist rally & a MLA who is reported to have attended the same rally is promoted as a minister. Why are the BJP/ @MehboobaMufti confused about where they stand on the #Kathua rape?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) April 30, 2018
कठुआ गैंगरेप के आरोपियों के समर्थन में निकाली गई रैली में एक बीजेपी विधायक भी शामिल हुआ था। राजीव जसरोटिया को मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बना दिया गया, जबकि इसी विवाद में दो मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा था, जिसका जिक्र ऊपर आ चुका है। इन तथ्यों पर अगर अमित मालवीय ने ध्यान दिया होता तो वो विजय टगोत्रा के कांग्रेस में शामिल होने पर चुप्पी लगा गए होते।
कौन है विजय टगोत्रा
विजय टगोत्रा के राजनीतिक बैकग्राउंड पर अगर नजर डाली जाए तो यह शख्स घूम फिर कर कांग्रेस में आ जाता है। कठुआ गैंगरेप सामने आने के बाद जम्मू में हिंदू एकता मंच का गठन हुआ। इसके गठन में विजय टगोत्रा आगे-आगे रहे। उस समय वो जम्मू के नोनाथ गांव के पूर्व सरपंच और कांग्रेस नेता था। फरवरी 2018 में विजय टगोत्रा ने कठुआ केस में राज्य पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों के समर्थन में पहला मार्च निकालकर उस मंच को बनाने में मदद की। बीजेपी के जब दो मंत्रियों का इस्तीफा हो गया तो कांग्रेस पर भी उस रैली में शामिल कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया। इसलिए कांग्रेस ने भी 2018 में विजय टगोत्रा को पार्टी से सिर्फ निलंबित कर दिया गया। निलंबन के बाद उनके खिलाफ आगे कोई कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई। रिपोर्टों से पता चलता है कि जम्मू के दो अन्य प्रमुख कांग्रेस सदस्यों गिरधारी लाल और सुभाष चंदर ने भी मार्च में भाग लिया। याद दिला दें कि राहुल गांधी ने भी कठुआ गैंगरेप केस के खिलाफ निकाले गए कैंडल मार्च में हिस्सा लिया था। इसके बावजूद कांग्रेस ने विजय टगोत्रा को पार्टी से बाहर नहीं किया।
राजनीतिक अवसरवाद
गुलाम नबी आजाद का कांग्रेस से जब मोहभंग हुआ तो उन्होंने जम्मू कश्मीर में अपनी क्षेत्रीय पार्टी गठित करके राज्य में अवसरवादी कांग्रेसी नेताओं को सक्रिय कर दिया। करीब 17 सक्रिय कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) में शामिल होने की घोषणा कर दी। इनका नेतृत्व वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम ताराचंद शर्मा कर रहे थे। इन 17 नेताओं में विजय टगोत्रा भी थे।
इधर, कांग्रेस ने इससे विचलित हुए बिना भारत जोड़ो यात्रा की तैयारी शुरू कर दी। यात्रा अब कल मंगलवार को पंजाब पहुंचने वाली है और वहां से करीब एक हफ्ते बाद सीधे जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने वाली है। इन 17 लोगों के जाने के बावजूद जब यात्रा और राहुल गांधी को लेकर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस का कैडर सक्रिय नजर आया तो इन 17 नेताओं को भी अपनी गलती का एहसास हुआ। इन लोगों ने पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मिलकर कांग्रेस में लौटने की गुहार लगाई। अभी सिर्फ दो दिन पहले इन सभी 17 लोगों की वापसी हो गई। इस तरह विजय टगोत्रा जो कठुआ गैंगरेप के आरोपियों का समर्थन करने के आरोप में पार्टी से निलंबित किए गए थे वो कांग्रेस में लौट आए।
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