नई दिल्ली घोषणापत्र पर आम सहमति बनवा पाना कितना कठिन रहा, यह प्रधानमंत्री मोदी के बयान से समझा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने सबसे पहले कहा कि अभी अच्छी खबर आई है। इसके बाद उन्होंने जो कहा वह मुश्किलों को लेकर था। पीएम ने कहा, 'हमारी टीमों की कड़ी मेहनत और आपके सहयोग से नई दिल्ली जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की घोषणा पर आम सहमति बनी है...'।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में आम सहमति बनाने के लिए 'टीम की कड़ी मेहनत' पर जो जोर दिया वह और इसके लिए अपनाई गई रणनीति काफी अहम रही। ऐसा इसलिए कि यूक्रेन युद्ध को लेकर स्थिति बेहद जटिल थी। पिछली बार इंडोनेशिया के बाली में मोटे तौर पर इसी मुद्दे को लेकर जी20 शिखर सम्मेलन में आम सहमति नहीं बन पाई थी।
बाली घोषणा में संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों को दर्ज किया गया था जिसमें यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की आक्रामकता की कड़े शब्दों में निंदा की गई थी और यूक्रेन के क्षेत्र से इसकी पूर्ण और बिना शर्त वापसी की मांग की गई थी। इसमें यह भी कहा गया था कि 'ज्यादातर सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा की'। लेकिन नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में फूँक-फूँक कर क़दम रखा गया और इसके लिए खास रणनीति बनाई गई।
विदेश सेवा के चार भारतीय राजनयिकों को सदस्य देशों के साथ कई महीनों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी। 3 सितंबर से शनिवार को नतीजे पर पहुँचने तक रात-रात भर जागकर आख़िरी संघर्ष करना पड़ा। नयी दिल्ली की जो घोषणा तैयार की गई उसें यूक्रेन युद्ध से जुड़े पैराग्राफ के लिए एक टीम को जिम्मेदारी दी गई थी।
नई दिल्ली सम्मेलन के दौरान मतभेदों को स्वीकार किया गया, विवादास्पद मुद्दों पर झगड़ने के बजाय समानता को बढ़ावा देने वाली भाषा में प्रस्ताव को तैयार किया गया।
भारत ने शनिवार को रूस-यूक्रेन संघर्ष पर जी7 समूह और रूस-चीन गुट के बीच आम सहमति तक पहुँचने के कूटनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया।
जब जी20 नेताओं ने दस्तावेज़ को अपनाया, तो नेताओं को ताली बजाते और मेज थपथपाते देखा गया। प्रधानमंत्री ने मंत्रियों, जी20 शेरपा और सभी अधिकारियों सहित अपनी टीम को उनकी कड़ी मेहनत के लिए धन्यवाद दिया।
Speaking at the Session-2 on 'One Family' during the G20 Summit in Delhi. https://t.co/tj1jrzelBA
— Narendra Modi (@narendramodi) September 9, 2023
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन संघर्ष पर बाली घोषणा में दो पैराग्राफ की तुलना में दिल्ली घोषणा में सात पैराग्राफ रहे। इसमें न तो रूसी 'आक्रामकता' का उल्लेख किया गया और न ही यूक्रेन में युद्ध के लिए रूसियों की 'निंदा' की गई। विज्ञप्ति की शुरुआत इस प्रकार हुई, 'हम दुनिया भर में विशाल मानवीय पीड़ा और युद्धों और संघर्षों के प्रतिकूल प्रभाव पर गहरी चिंता जताते हैं।' आखिरी पंक्ति इस तरह है- 'आज का युग युद्ध का नहीं होना चाहिए' जो बाली घोषणा से ली गई है। इसी बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था।
इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप, सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ क्षेत्रीय अधिग्रहण की धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। घोषणा में कहा गया, 'परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।'
यूक्रेन मुद्दे पर आम सहमति पर पहुंचने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, 'यह 83 पैराग्राफ की घोषणा है, इसमें बहुत सारे विषयों को शामिल किया गया है, लेकिन जाहिर तौर पर चल रहे संघर्ष और इस पर अलग-अलग विचारों के कारण काफी समय लग गया है।' यह पूछे जाने पर कि किन देशों ने यूक्रेन संघर्ष पर आम सहमति बनाने में मदद की, उन्होंने कहा, 'वास्तव में… सभी ने मदद की। सर्वसम्मति बनाने के लिए हर कोई एक साथ आया।'
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