ऑश्वित्ज़ यानी क़त्लगाह, असम के डिटेंशन सेंटर और बाक़ी दुनिया के डिटेंशन सेंटर में क्या कोई जुड़ाव है? क्या इसका जर्मन लूथरन पादरी मार्टिन नीमोलर की कविता '...जब वे मेरे लिए आए तो मेरे पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं था' से कुछ लेना देना है? वैसे तो ऐसा कोई संबंध नहीं है, लेकिन किसी कार्यक्रम में इन सब का एक साथ ज़िक्र होना ख़ास मायने रखता है और इसका एक संदेश भी जाता है। वह भी तब जब सामने देश के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजेआई एस ए बोबडे बैठे हों।