ऑश्वित्ज़ यानी क़त्लगाह, असम के डिटेंशन सेंटर और बाक़ी दुनिया के डिटेंशन सेंटर में क्या कोई जुड़ाव है? क्या इसका जर्मन लूथरन पादरी मार्टिन नीमोलर की कविता '...जब वे मेरे लिए आए तो मेरे पक्ष में बोलने वाला कोई नहीं था' से कुछ लेना देना है? वैसे तो ऐसा कोई संबंध नहीं है, लेकिन किसी कार्यक्रम में इन सब का एक साथ ज़िक्र होना ख़ास मायने रखता है और इसका एक संदेश भी जाता है। वह भी तब जब सामने देश के मुख्य न्यायाधीश यानी सीजेआई एस ए बोबडे बैठे हों।
सीजेआई के सामने डिटेंशन सेंटर, हिटलर के ऑश्वित्ज़ का ज़िक्र कर कहा- आवाज़ उठाएँ
- देश
- |
- 3 Feb, 2020
कनाडा के पूर्व संघीय मंत्री उज्ज्वल दोसांझ ने ऑश्वित्ज़ यानी क़त्लगाह, असम के डिटेंशन सेंटर और बाक़ी दुनिया के डिटेंशन सेंटर का ज़िक्र क्यों किया?

दरअसल, गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में चंडीगढ़ में शनिवार को पंजाब हरियाणा बार काउंसिल का कार्यक्रम था। इसमें मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे भी शामिल थे। ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व एटॉर्नी जनरल और कनाडा के पूर्व संघीय मंत्री उज्ज्वल दोसांझ दुनिया भर में डिटेंशन सेंटर के संदर्भ में गुरु नानक के विचारों और सीखों के हवाले से अपने विचार रख रहे थे। इसी दौरान उन्होंने असम के डिटेंशन सेंटर और बाक़ी दुनिया के डिटेंशन सेंटर, क़त्लगाह ऑश्वित्ज़ की कहानियाँ सुनाईं। ऑश्वित्ज़ जर्मनी में हिटलर का क़त्लगाह का नाम है। कल्पनाओं से भी परे यहाँ लोगों को मारने के तरीक़े अपनाए जाते थे। रुह कँपा देने वाली मौतें दी जाती थीं।
ऑश्वित्ज़ में कैद और अनिवार्य हत्या की प्रतीक्षा कर रहे लोगों में से जो बचे रह गए थे उन्हें 75 साल पहले, 27 जनवरी, 1945 को सोवियत संघ की लाल सेना ने मुक्त किया था।