उत्तर प्रदेश में 12 ज़िले पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) के गढ़ बन चुके हैं। यह बात खुद उत्तर प्रदेश पुलिस ने स्वीकार की है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने चार दिन में पीएफ़आई से जुड़े 108 लोगों को गिरफ़्तार किया है। उत्तर प्रदेश के कार्यकारी डीजीपी डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर पीएफ़आई पर नागरिकता संशोधन क़ानून की आड़ में हिंसा फैलाने और लोगों को भड़काने का आरोप लगाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पीएफ़आई सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। सत्य हिन्दी ने पीएफ़आई के बारे में विस्तार से ख़बर प्रकाशित की है।
कार्यकारी डीजीपी ने साफ़ तौर पर कहा कि पीएफ़आई ने पूरे प्रदेश में ख़ास तौर पर 12 जिलों में अपनी घुसपैठ कर ली है। उन्होंने बताया कि लखनऊ से 14, ग़ाज़ियाबाद से 9, मुज़फ्फरनगर से 6, गोंडा से 1, बहराइच से 16, हापुड़ व जौनपुर से 1-1, सीतापुर से 3 और मेरठ से सबसे ज़्यादा पीएफ़आई के 21 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक़, पीएफ़आई की पूरे प्रदेश में सक्रियता है। उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए थे और कई जगहों पर इन प्रदर्शनों में हिंसा भी हुई थी। पुलिस ने पहले भी कहा था कि हिंसक प्रदर्शनों के पीछे पीएफ़आई का हाथ है।
अवस्थी ने कहा कि पीएफ़आई संभल, मुज़फ़्फरनगर, लखनऊ, शामली और अन्य जिलों में सक्रिय है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 19 और 20 दिसंबर को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुई हिंसा में लोगों को भड़काने में पीएफ़आई के सदस्य जिम्मेदार हैं। अवस्थी ने कहा कि पुलिस ख़ुफ़िया एजेंसियों के साथ मिलकर इस बात की जांच कर रही है कि पीएफ़आई को फ़ंडिंग कहां से हो रही है और क्या इसके कुख्यात आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से भी संबंध हैं।
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