किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते रहे पत्रकार राजदीप सरदेसाई, मृणाल पाण्डेय, सांसद शशि थरूर जैसे आठ लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई है। इनपर जानबूझकर दंगा कराने का आरोप लगाया गया है। यह एफ़आईआर गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली में हिंसा को लेकर दर्ज कराई गई है। यह एफ़आईआर उससे अलग है जिसमें कम से कम 37 किसान नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और उनपर दंगे कराने का आरोप लगाया गया है।
उनपर जो आरोप लगाया गया है वह कृषि आंदोलन में हिंसा से जुड़ा है। कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ लाखों किसान दो महीने से दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। इनकी माँग इन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की है। इस बीच मंगलवार को दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड हुई, जिसमें हज़ारों किसान ट्रैक्टर लेकर तय रूट से अलग हो कर दिल्ली में घुस गए, हिंसा हुई, लाठीचार्ज हुआ, आँसू गैस के गोले छोड़े गए। इस बीच एक व्यक्ति की मौत भी हो गई। कुछ लोगों ने लाल किले पर चढ़ कर सिखों का पवित्र झंडा निशान साहिब फहरा दिया।
एक एफ़आईआर नोएडा में तो चार अन्य केस मध्य प्रदेश के भोपाल होशंगाबाद, मुल्तई और बेतुल में दर्ज कराया गया है। एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने पत्रकारों के ख़िलाफ़ इस कार्रवाई की निंदा की है।
नोएडा में अर्पित मिश्रा नाम के शख्स ने सेक्टर 20 में यह केस दर्ज कराया है। इस एफ़आईआर में सांसद शशि थरूर, न्यूज़ एंकर राजदीप सरदेसाई, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पाण्डेय, कौमी आवाज़ उर्दू के मुख्य संपादक जफर आगा, कारवाँ के मुख्य संपादक परेशनाथ, कारवाँ के संपादक अनंतनाथ, कारवाँ के कार्यकारी संपादक विनोद के जोस और एक अज्ञात के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। इनके ख़िलाफ़ आपराधिक धाराओं के साथ ही आईटी एक्ट में कार्रवाई की माँग की गई है।
एफ़आईआर में कहा गया है कि 'इन लोगों ने जानबूझकर इस दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक, गुमराह करने वाले और उकसावे वाली ख़बर प्रसारित की।' उनपर आरोप लगाया गया है कि 'उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि आंदोलनकारी एक ट्रैक्टर चालक की पुलिस द्वारा हत्या कर दी गई।'
इन सभी पर आरोप लगाया गया है कि इन सभी आरोपियों ने आपसी सहयोग से सुनियोजित साज़िश के तहत ग़लत जानकारी प्रसारित की कि पुलिस ने एक आंदोलनकारी को गोली मार दी। यह इसलिए किया गया ताकि बड़े पैमाने पर दंगे हों और समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो।
एडिटर्स गिल्ड ने कहा, मीडिया को डराने की कोशिश
एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने 26 जनवरी की रिपोर्टिंग पर पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने की ज़ोरदार शब्दों में निंदा की है। उसने इसे मीडिया को डराने-धमकाने और परेशान करने का तरीका क़रार दिया है।
गिल्ड ने कहा है कि राजद्रोह, सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने और लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत करने से जुड़ी 10 धाराएं लगाना अधिक चिंता की बात है।
एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि एफ़आईआर में यह बिल्कुल ग़लत कहा गया है कि ट्वीट ग़लत मंशा से किए गए थे और उसकी वजह से ही लाल किले को अपवित्र किया गया।
संपादकों की इस शीर्ष संस्था का कहना है कि पत्रकारों को निशाने पर लेना उन मूल्यों को कुचलना है जिनकी बुनियाद पर हमारा गणतंत्र टिका हुआ है। इसका मक़सद मीडिया को चोट पहुँचाना और भारतीय लोकतंत्र के निष्पक्ष प्रहरी के रूप में काम करने से उसे रोकना है।
एडिटर्स गिल्ड ने पत्रकारों का बचाव करते हुए कहा है कि 26 जनवरी के विरोध प्रदर्शन के दिन घटना स्थल से प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस से कई तरह की खबरें मिल रही थीं। यह स्वाभाविक है कि पत्रकारों उन सभी बातों को रिपोर्ट करें। यह स्थापित पत्रकारीय तौर-तरीकों के अनुकूल है।
एडिटर्स गिल्ड ने एफ़आईआर तुरन्त वापस लेने और मीडिया को निडर होकर काम करने देने की अपील की है।
इस एफ़आईआर में जिस ट्वीट का हवाला दिया गया है उसी ट्वीट को लेकर इंडिया टुडे ने अपने कंसल्टिंग एडिटर और वरिष्ठ एंकर राजदीप सरदेसाई को दो हफ़्तों के लिए 'ऑफ एअर' कर दिया है। 'ऑफ एअर' करने का मतलब है कि उन्हें इस समय के लिए एंकरिंग से हटा दिया गया है। इतना ही नहीं, उनका एक महीने का वेतन भी काट लिया गया।
मंगलवार को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हिंसा हुई थी। उस दौरान इस वरिष्ठ पत्रकार ने टेलीविज़न चैनल पर कहा था कि पुलिस की गोलीबारी में एक किसान की मौत हो गई। उन्होंने ट्वीट भी किया था, "आईटीओ पर पुलिस गोलीबारी में एक व्यक्ति, 45 साल के नवनीत सिंह की मौत हो गई। किसानों ने मुझसे कहा है कि यह शहादत बेकार नहीं जाएगी।"
पुलिस का कहना है कि ट्रैक्टर पलटने से उस व्यक्ति की मौत हो गई थी। बाद में पुलिस ने एक वीडियो जारी किया और कहा कि ट्रैक्टर नियंत्रण से बाहर हो गया और पलट गया।
इसके बाद राजदीप सरदेसाई ने यह जानकारी दी कि नवनीत सिंह की मौत ट्रैक्टर पलटने से हुई। उन्होंने ट्वीट किया, "आन्दोलनकारी किसानों ने दावा किया कि नवनीत सिंह को पुलिस की गोली लगी, इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि बैरिकेड तोड़ने की कोशिश में ट्रैक्टर पलट गया। आन्दोलनकारी किसानों का आरोप सही नहीं है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है।"
While the farm protestors claim that the deceased Navneet Singh was shot at by Delhi police while on a tractor, this video clearly shows that the tractor overturned while trying to break the police barricades. The farm protestors allegations don’t stand. Post mortem awaited.👇 pic.twitter.com/JnuU05psgR
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 26, 2021
उन्होंने ट्वीट में पुलिस की तारीफ करते हुए कहा कि उसने काफी संयम बरता है।
इस एफ़आईआर में राजदीप सरदेसाई के अलावा जिन लोगों के नाम लिए गए हैं वे कृषि क़ानून व किसान आंदोलन को लेकर मोदी सरकार के प्रति आलोचनात्मक रूख रखते हैं। वे लगातार किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करते रहे हैं। इन ट्वीट के लिए उनको अक्सर दक्षिणपंथी रूझान रखने वाले ट्विटर हैंडल से निशाना बनाया जाता रहा है।
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