भारत और पाकिस्तान की ओर से लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) पर संघर्ष विराम के एलान का जम्मू-कश्मीर के मुख्य राजनीतिक दलों के साथ ही अलगाववादियों ने भी स्वागत किया है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा है कि इस इलाक़े में शांति स्थापित करने की दिशा में यह पहला क़दम है और हम हमेशा से एलओसी पर संघर्ष विराम की हिमायत करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे एलओसी और अंतराराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोग आराम से रह सकेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि ऐसे मुश्किल वक़्त में दोनों देशों को इस तरह का क़दम उठाने की ज़रूरत थी। अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के बाद लंबे वक़्त तक जेल में रहीं मुफ्ती ने कहा कि कश्मीर के हालात का समाधान केवल बातचीत के जरिये ही हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी और एलओसी पर रह रहे लोगों के लिए अच्छा क़दम है।
अलगाववादी तेवर रखने वाली ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स ने कहा कि यह सही दिशा में की गई पहल है। हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की सरकारों को जम्मू-कश्मीर के बड़े मुद्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है।
भारत और पाकिस्तान की ओर से गुरूवार को जारी किए गए संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों की सेनाओं के डायरेक्टर जनरल ऑफ़ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) एलओसी को लेकर किए गए सभी समझौतों का कड़ाई से पालन करने, युद्ध विराम पर सहमति बनाने पर राजी हो गए हैं।
दक्षिण एशिया में होगी शांति
भारत और पाकिस्तान के इस क़दम का अमेरिका ने भी स्वागत किया है। अमेरिका ने कहा है कि यह क़दम दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता को कायम करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है और हम दोनों देशों से इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील करते हैं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने गुरूवार को नियमित न्यूज़ कॉन्फ्रेन्स के दौरान कहा कि बाडइन प्रशासन इस इलाक़े के नेताओं के संपर्क में है।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने दोनों पक्षों से एलओसी पर तनाव को कम करने और 2003 के युद्ध विराम समझौते को मानने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जो आतंकी एलओसी पर घुसपैठ कर रहे हैं, हम उनकी निंदा करते हैं।
नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और बाक़ी मसलों पर सीधी बातचीत का स्वागत करता है।
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