- शंभू बॉर्डर पर बुधवार सुबह किसानों का मार्च शुरू होने से पहले हरियाणा पुलिस ने किसानों पर आंसू गैस के गोले बरसाए। इस पर पंजाब पुलिस ने आपत्ति जताई। पंजाब की आपत्ति पर केंद्र सरकार ने फौरन ही पंजाब को एडवाइजरी जारी की कि कानून व्यवस्था ठीक रखें।
- किसान नेताओं ने कहा कि वे अब खुद शंभू बॉर्डर पार करेंगे और दिल्ली जाएंगे। दोपहर को किसान नेताओं ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो उन पर इस ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागे गए। दोपहर को दूसरी सीमा खनौरी बॉर्डर पर भी यही दृश्य नजर आया। खनौरी बॉर्डर पर किसान बिल्कुल ही निहत्थे थे।
- इसी रस्साकशी के बीच केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों को पांचवें दौर की बातचीत के लिए निमंत्रित किया। किसान नेताओं के पास दिल्ली से फोन आया। किसान नेताओं ने बात की। लेकिन उन्होंने कहा कि पीएम मोदी या गृह मंत्री अमित शाह बयान जारी करें और एमएसपी का वादा करें तो किसान अपना मार्च रोक देंगे।
खाद्य नीति और कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा का कहना है कि “यह पेशकश सिर्फ किसान जो मांग कर रहे हैं उससे ध्यान भटकाने के लिए है। किसान एमएसपी चाहते हैं, लेकिन सरकार इसे विविधीकरण से जोड़ना चाहती है। उन्होंने जो फसलें चुनी हैं, उन पर पहले से ही एमएसपी से ऊपर दरें मिल रही हैं, लेकिन किसान दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं क्योंकि ये फसलें धान और गेहूं की तरह लाभकारी नहीं हैं।'
विशेषज्ञों ने यह भी सुझाव दिया कि फसलों की सूची में सरसों, गन्ना और मूंग जैसी अन्य फसलों को भी जोड़ा जाना चाहिए और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार दरें तय की जानी चाहिए।
आईसीएआर-आईएआरआई, दिल्ली के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र लाठर ने कहा, “संपर्क खेती के माध्यम से केवल कुछ फसलों के लिए पांच साल के लिए एमएसपी की पेशकश करने का सरकार का प्रस्ताव कृषक समुदायों को गुमराह और धोखा देने वाला है। इससे भारत की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।”
हरियाणा बीकेयू (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा “सूरजमुखी के बीज के लिए एमएसपी है, लेकिन खरीदारों की कमी के कारण किसानों को हर साल विरोध करना पड़ता है। पिछले साल किसानों ने कुरुक्षेत्र में एक सप्ताह तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद सूरजमुखी के बीज एमएसपी से 500 रुपये से 700 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बेचे थे।
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