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किसान नेताओं से बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी मीडिया को जानकारी देते हुए।

किसान नेताओं और सरकार के बीच पहले दौर की बात क्यों बेनतीजा रही

सरकार और किसान संगठनों की 14 फरवरी शुक्रवार को चंडीगढ़ में सीधी बात हुई। लेकिन कोई हल सामने नहीं आ सका। अब 22 फरवरी को फिर से बैठक होगी। एक साल से किसान पंजाब-हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। किसान दिल्ली आना चाहते हैं लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक रखा है। किसान एमएसपी के मुद्दे पर सरकार से स्पष्ट फैसला चाहते हैं और यही बातचीत को किसी नतीजे पर पहुंचने से रोक रही है।

किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि 28 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय नेताओं से मुलाकात की और एमएसपी, ऋण माफी और प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की अपनी मांगें रखीं।

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एमएसपी के अलावा किसानों की अन्य मांगों में कर्ज माफी, किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन और 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए इंसाफ शामिल है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल, जो पिछले साल 26 नवंबर से आमरण अनशन पर हैं, भी बैठक में शामिल हुए। एक किसान नेता ने बताया कि अपनी पोती की मौत के बावजूद वो बैठक के लिए पहुंचे।

बैठक के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने मीडिया को बताया कि "हमने अपनी मांगें रखीं, लेकिन केंद्रीय मंत्री इसका जवाब नहीं दे पाए। हम प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से जल्द से जल्द गतिरोध को हल करने का आग्रह करते हैं।" इस बैठक में केंद्र की ओर से केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी और अधिकारी मौजूद थे।
  • पंधेर ने कहा कि केंद्रीय मंत्री जोशी ने किसान संगठनों को बताया कि एमएसपी के मुद्दे पर केवल कृषि मंत्री की मौजूदगी में ही चर्चा हो सकती है।

पंधेर ने कहा कि सरकार को शंभू बॉर्डर खोल देना चाहिए। दोनों तरफ के व्यापारी परेशान हैं। पंधेर ने कहा, "हम दिल्ली जाना चाहते हैं क्योंकि देशभर से कई किसान नेता यहां आए हैं। दिल्ली में रहना आसान है।"

मंत्री प्रह्लाद जोशी ने डल्लेवाल से भूख हड़ताल खत्म करने की अपील की, लेकिन वह अपनी मांग पर अड़े रहे कि जब तक केंद्र एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं देता, तब तक उनका अनशन जारी रहेगा। किसानों और केंद्र के बीच अगली बैठक 22 फरवरी को होनी है, जिसे किसानों ने दिल्ली में कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसके बाद वे आगे की रणनीति तय करेंगे।

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किसान एसकेएम (गैर-राजनीतिक) और केएमएम के बैनर तले पिछले साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी सीमा पर डेरा डाले हुए हैं। सुरक्षा बलों और हरियाणा पुलिस ने उन्हें दिल्ली तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी है। किसानों ने कई बार दिल्ली कूच शुरू करना चाहा लेकिन हर बार पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोलों ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया।

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क़मर वहीद नक़वी
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