क्या धर्मांतरण कानून लोगों को धर्मांतरण करने से रोकने में वाक़ई सफल होगा? यह सवाल फ़ैज़ान मुस्तफा अंग्रेजी में लिखे अपने एक लेख में पूछते हैं। वह इसका जवाब भी देते हैं। वह कहते हैं, 'हममें से बहुत से लोग इस बात से अवगत नहीं हैं कि आज़ादी से पहले भी कई हिंदू रियासतों में धर्मांतरण विरोधी क़ानून थे, जैसे रायगढ़, बीकानेर, कोटा, जोधपुर, सरगुजा, पटना, उदयपुर और कालाहांडी में। उड़ीसा (1967), मध्य प्रदेश (1968), अरुणाचल प्रदेश (1978) राज्यों ने भी 1960 के दशक में इसी तरह के क़ानून पारित किए। अरुणाचल प्रदेश के क़ानून को कभी लागू नहीं किया गया।' इस पर वह एक सवाल रखते हैं कि आख़िर ये कानून जबरन धर्मांतरण को रोकने में सक्षम कैसे नहीं हुए?
क्या धर्मांतरण कानून धर्मांतरण रोकने में वाक़ई सफल होगा?
- देश
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- 18 Nov, 2022
देश में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और देश की सुरक्षा के लिए ख़तरा बताया है। तो क्या धर्मांतरण क़ानून से यह रुक जाएगा? पढ़िए क़ानून और संविधान के जानकार फ़ैज़ान मुस्तफा क्या लिखते हैं।

उनका यह लेख उस संदर्भ में है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने इसी हफ़्ते देश में जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर चिंता जताई है और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने सोमवार को कहा था कि जबरन धर्म परिवर्तन एक बेहद गंभीर मुद्दा है। इसने केंद्र सरकार से कहा है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए क़दम उठाया जाए। इसके साथ ही इसने हलफनामा दाखिल करने को भी कहा है।