जम्मू-कश्मीर (J&K) में विधानसभा चुनाव पहले ही हो चुके हैं और 90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा के लिए मतदान शाम 6 बजे तक। जैसे ही मतदान खत्म होगा, लोगों का ध्यान एग्जिट पोल के नतीजों पर केंद्रित हो जाता है। तमाम सर्वे एजेंसियां भविष्यवाणी करती हैं कि प्रमुख दल कितनी सीटें जीत सकते हैं। लेकिन आमतौर पर बहुत कम सर्वे एजेंसियों की भविष्यवाणी सही निकलती है। इसका खास वजह यह भी है कि राजनीतिक दल सर्वे एजेंसियों को तमाम तरीकों से प्रभावित कर लेते हैं और अपने दल के बारे में भविष्यवाणी करवा लेते हैं ताकि नतीजों को उसी हिसाब से मैनेज किया जा सके। लेकिन जनता अब इस चालाकी को भी धीरे-धीरे समझ रही है। इससे सर्वे एजेंसियों की विश्वसनीयता गिरती जा रही है।
2019 में, विभिन्न एजेंसियों के एग्जिट पोल ने संकेत दिया था कि सत्तारूढ़ भाजपा के सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की संभावना है। लेकिन वास्तविक नतीजों की सटीक भविष्यवाणी करने में सारी एजेंसियां विफल रहीं। हरियाणा की 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए सीटों की आवश्यक संख्या 46 थी।
इंडिया टुडे-एक्सिस माई इंडिया को छोड़कर, जिसने भाजपा के लिए 32-44 सीटों की भविष्यवाणी की थी, अन्य एजेंसियों ने सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के लिए आराम से बहुमत पाने का अनुमान लगाया था। एक्सिस माई इंडिया ने त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की, जिसमें भाजपा 32 से 44 सीटों के बीच जीत हासिल करेगी और कांग्रेस 30 से 42 सीटों के साथ पीछे रहेगी। सिर्फ यह फीगर ही वास्तविक नतीजों के करीब था, जहां भाजपा को 40 और कांग्रेस को 30 सीटें मिलीं।
बुरी तरह पिटी एजेंसियां और चैनलः दूसरी ओर, टाइम्स नाउ ने 71 सीटों की भविष्यवाणी करते हुए भाजपा की भारी जीत का अनुमान लगाया था। जबकि कांग्रेस 11 सीटों पर पीछे है। रिपब्लिक टीवी-जन की बात के एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि बीजेपी 57 से 65 सीटें जीतेगी। News18-IPSOS के एग्जिट पोल में भी भारी बहुमत की भविष्यवाणी की गई थी, जिससे बीजेपी को 75 सीटें मिलने का दावा किया गया था। एबीपी-सी वोटर ने अनुमान लगाया था कि भाजपा 72 से 80 सीटें जीतेगी, जो सत्तारूढ़ पार्टी के लिए भारी बहुमत का संकेत देती है। लेकिन ये सारे अनुमान और अटकलें गलत साबित हुईं।
नतीजे आये तो पोल खुल गई
2019 में हरियाणा के अंतिम नतीजे आने पर भाजपा महज 40 सीटें जीतीं और स्पष्ट बहुमत से पीछे रह गई। कांग्रेस ने 31 सीटों के साथ महत्वपूर्ण सुधार किया, जबकि दुष्यनत चौटाला के नेतृत्व वाली नवगठित जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने 10 सीटें जीतीं और किंगमेकर बन गई। शेष सीटें अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं। अपने दम पर सरकार बनाने में असमर्थ भाजपा ने अंततः सत्ता बरकरार रखने के लिए जेजेपी के साथ गठबंधन किया। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने जेजेपी से गठबंधन से गठबंधन तोड़ लिया। लोकसभा में भाजपा अकेले दम पर लड़ी तो कांग्रेस-भाजपा ने 5-5 सीटें जीत लीं। जेजेपी लोकसभा में कुछ नही सकी।जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पिछला चुनाव 2014 में हुआ था। जम्मू-कश्मीर में 2014 के चुनाव में, एग्जिट पोल ने त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी की थी, जिसमें महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) को बढ़त मिली थी। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी), नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और फिर कांग्रेस इन सभी से पीछे रही।
2014 के एग्जिट पोल के नतीजों में, पीडीपी को 32-38 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की भविष्यवाणी की गई थी, जो 44 सीटों के जादुई आंकड़े को पार करने से पीछे रह गई। इसके बाद बीजेपी 27-33 सीटों पर सिमट गई। नेशनल कान्फ्रेंस को 8-14 निर्वाचन क्षेत्र और कांग्रेस को 4-10 सीटें मिलीं। लेकिन जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के अंतिम नतीजों में, पीडीपी ने 28 सीटें, भाजपा ने 25, एनसी ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीतीं थीं। पीडीपी ने कुछ दिन भाजपा के साथ सरकार चलाई लेकिन बाद में सरकार गिर गई।
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