पिछली बार सत्तारूढ़ दल से बुरी तरह ट्रोल होने और उसकी साइबर सेना के निशाने पर आने के बावजूद 'द हिन्दू' और उसके पत्रकार एन राम ने रफ़ाल सौदे पर नया खुलासा किया है। अख़बार में छपी ख़बर में एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठाया गया है और कहा गया है कि जान बूझ कर फ्रांसीसी कंपनियों को खा़स रियायतें दी गईं। ऐसी रियायतें पहले कभी किसी कंपनी को नहीं दी गई थी। लेकिन यह ख़बर उस समय आई है जब चुनाव प्रचार ज़ोर पकड़ चुका है और पहले चरण के मतदान में सिर्फ़ दो दिन बचे हैं। प्रधानमंत्री ने पार्टी का घोषणापत्र जारी करते हुए साफ़ लफ़्जों में कह दिया है कि राष्ट्रवाद उनकी प्रेरणा है। उन्होंने इस राष्ट्रवाद को चुनावी मुद्दा बना लिया है और आम लोगों की जिंदगी को प्रभावित करने वाले मुद्दे दरकिनार हो चुके है। राहुल गाँधी ने यह ज़रूर कहा है कि उनकी सरकार बनी तो रफ़ाल मामलों की जाँच होगी, पर इस मुद्दे से लोगों का ध्यान हट चुका है। ऐसे में रफ़ाल की इस ख़बर के राजनीतिक मायने हैं और उसका सियासी प्रभाव है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
रफ़ाल के ऑफ़सेट कॉन्ट्रैक्ट में दसॉ को मिली थी ख़ास छूट
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- 10 Apr, 2019
रफ़ाल सौदे में नया खुलासा यह है कि फ्रांसीसी कंपनियों को जो रियायतें दी गईं, वह उससे पहले कभी किसी कंपनी को नहीं मिली थी। ऐसा क्यों हुआ?
