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सुषमा ने विदेश मंत्रालय तक लोगों की पहुँच को बनाया था आसान

सुषमा स्वराज अब नहीं रहीं, लेकिन उनके चाहने वालों के दिलों में हमेशा रहेंगी। विदेश मंत्री के अपने पूरे कार्यकाल के दौरान लोगों की मदद करने के लिए प्रसिद्ध रहीं सुषमा ने सोशल मीडिया के माध्यम से विदेश मंत्रालय तक आम लोगों की पहुँच को आसान बना दिया। दूसरे शब्दों में कहें तो सोशल मीडिया के माध्यम से उन्होंने कुटनीति को आम लोगों तक पहुँचा दिया था। विदेशों में फँसे लोग ट्विटर के माध्यम से सुषमा स्वराज के सामने समस्या रखते थे और उन्होंने इसी के माध्यम से लोगों को राहत देना शुरू कर दिया था। किसी भारतीय का पासपोर्ट भी खो जाए तो वह एक ट्वीट पर ही भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को उस नागरिक की मदद में लगा देती थीं।

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ट्विटर पर लोगों की मदद करने में उनकी सक्रियता के कारण ही लोग दुनिया भर से उनसे मदद माँगते थे। सुषमा हर ऐसे मामले में मदद को आगे आईं। इसके अलावा सऊदी अरब, यमन, लीबिया, सूडान सहित कई देशों में फँसे भारतीयों को वह सुरक्षित देश में वापस लाईं। कई बार ऐसा मौक़ा भी आया जब पड़ोसी देश पाकिस्तान से भी लोगों ने मदद माँगी और उन्होंने उनकी सहायता के लिए हाथ आगे बढ़ाया। उन्होंने पाकिस्तान के कई बच्चों को भारत में इलाज के लिए आसानी से वीजा दिलवाया। पाकिस्तान में वर्षों से रह रही भारतीय मूक-बधिर बच्ची गीता के साथ उनके प्यार को हमेशा याद किया जाएगा। इसके लिए उनकी तारीफ़ भारत ही में नहीं, बल्कि पाकिस्तान और दूसरे देशों में भी हुई।

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ऐसी ही स्थिति में जब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह ख़बर आई कि सुषमा दोबारा विदेश मंत्री नहीं बनेंगी तो करोड़ों लोगों को निराशा हुई। बता दें कि सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य की वजहों से पिछला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था। वह अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थीं और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ी थीं। वह जय प्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से भी जुड़ी थीं। 

सुषमा को मोदी सरकार के पहले कार्यकाल की शुरुआत में ही विदेश मंत्री बनाया गया था। वह इंदिरा गाँधी के बाद विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभालने वाली दूसरी महिला रही हैं। प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गाँधी ने कुछ समय के लिए विदेश मंत्रालय का पदभार संभाला था।
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सुषमा स्वराज 1977 में सिर्फ़ 25 साल की उम्र में हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गई थीं और राज्य सरकार में मंत्री बनी थीं। तब वह भारत की सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थीं। उन्होंने जनता पार्टी की हरियाणा ईकाई के अध्यक्ष का पदभार भी संभाला था। उन्हें यह ज़िम्मेदारी दी गई, तब वह सिर्फ़ 27 साल की थीं। बाद में वह केंद्र की राजनीति में आईं और 7 बार लोकसभा सदस्य चुनी गईं। वह दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनी थीं। वह राज्यसभा की सदस्य भी चुनी गई थीं।

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क़मर वहीद नक़वी
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