स्विटज़रलैंड के दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकनॉमिक फ़ोरम का फ़ोकस तो अर्थव्यवस्था और उससे जुड़े मुद्दों पर था, पर वहाँ भी नागरिकता क़ानून, कश्मीर और हिन्दुत्व पर चर्चा हुई। ज़ाहिर है, इसमें भारत की तारीफ़ नहीं हुई। इस चर्चा के केंद्र में नरेंद्र मोदी रहे और उनके बहाने भारत की निंदा की गई।
हंंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर उद्यमी और अरबपति लोक उपकारक जॉर्ज सोरोस जब अलग-अलग देशों में बढ़ रही अलोकतांत्रिक प्रवृत्तियों के बारे में बोलने लगे तो उन्होंने भारत और नरेंद्र नोदी की भी चर्चा की। जॉर्ज सोरोस ने कहा :
“
राष्ट्रवाद पीछे हटने के बजाय आगे बढ़ रहा है। सबसे बड़ा आघात भारत से आया है। लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नरेंद्र मोदी हिन्दू राष्ट्रवादी राज्य बना रहे हैं। वे अर्द्ध स्वायत्त कश्मीर पर दंडात्मक कार्रवाई थोप रहे हैं, और करोड़ों मुसलमानों से नागरिकता छीन रहे हैं।
सोरोस ने इस परिप्रेक्ष्य में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप ठग हैं, वे आत्मरति में लीन रहने वाले व्यक्ति हैं, जो चाहते हैं कि पूरी दुनिया उनके इर्द-गिर्द घूमती रहे। जब राष्ट्रपति बनने की उनकी कल्पना साकार हो गई, वे इतने ज़्यादा आत्मरति में लीन हो गए कि बीमार से हो गए। संविधान द्वारा राष्ट्रपति पर लगाई गई सीमा को वे निश्चित तौर पर पार कर चुके हैं और उनके ख़िलाफ महाभियोग चलाया जा रहा है।'
जॉर्ज सोरोस ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जिनपिंग आर्टफ़िशियल इंटेलीजेन्स का इस्तेमाल कर अपने लोगों को नियंत्रित में रखते हैं।
बता दें कि नागरिकता क़ानून भले ही 2019 में आया हो और इसे धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला बताया जा रहा हो, लेकिन लगता है कि इस भेदभाव वाले क़ानून को लेकर प्रक्रिया की शुरुआत 2014 में ही हो गई थी। ऐसे सरकारी आदेशों का खुलासा हुआ है जिसमें सरकार भारत की नागरिकता लेने के इच्छुक मुसलमानों की राह में दिसंबर 2014 से ही रोड़े अटकाती आई है। तब से ऐसे कई आदेश आए हैं। हालाँकि, इस बारे में रिपोर्टें तब इस तरह से चर्चा में नहीं रहीं या आम लोगों तक ये जानकारियाँ नहीं पहुँच पाईं। लेकिन अब जब 2019 में नागरिकता क़ानून आया और इस पर हंगामा हुआ तो इस बारे में परतें खुलने लगी हैं।
अपनी राय बतायें