आज यह रहस्य और गहरा गया कि क्या अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले से नेहरू-गांधी परिवार का कोई लेना-देना है? क्या इस घोटाले में देश लाए गए प्रमुख आरोपी क्रिश्चियन मिशेल का सोनिया-राहुल से कोई रिश्ता है? क्या वाक़ई में अगस्ता वेस्टलैंड की ख़रीद के सिलसिले में सोनिया-राहुल ने कोई दबाव तब की सरकार पर डाला था? या फिर 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देऩजर नये सिरे से एक बार फिर सोनिया और राहुल गांधी को निशाने पर लेने की तैयारी की जा रही है? आज बड़े रहस्यमय तरीके से अगस्ता वेस्टलैंड मामले की सुनवायी के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि मिशेल ने सोनिया गाँधी का नाम लिया है। जब यह उत्सुकता बढ़ी कि किस बारे में उनका नाम लिया गया है तो निदेशालय ने कहा, ‘किस संदर्भ में मिशेल ने सोनिया का नाम लिया है यह अभी नहीं बताया जा सकता है।’ सवाल यह है कि जब यह जानकारी अभी नहीं दी जा सकती है तो फिर अदालत को यह बताने की ज़रूरत क्यों पड़ी? क्या मामला वाक़ई में इतना गंभीर है कि अभी नहीं बताया जा सकता है? तो सवाल यह है कि सही समय कौन-सा होगा? लेकिन इतना तय है कि इस ख़ुलासे से ज़रूर सनसनी मची रहेगी।
लेकिन निदेशालय इतने पर ही नहीं रुका। उसने रहस्य और बढ़ा दिया यह कह कर कि मिशेल ने 'सन ऑफ़ इटालियन लेडी' यानी ‘इटली की एक महिला के बेटे’ का भी ज़िक्र किया है। दिलचस्प बात यह है कि मिशेल के मुताबिक़ बातचीत में यह ज़िक्र आता है कि ‘यह बेटा कैसे अगला प्रधानमंत्री होने जा रहा है।’ इस जानकारी के बाद क्या कोई शक रह जाता है कि निदेशालय ने किसका ज़िक्र अदालत में किया है। इस ब्योरे के बाद यह साफ़ हो जाता है कि निदेशालय राहुल गाँधी के बारे में बात कर रहा है।
हैरानी की बात यह है कि ईडी यहाँ नाम लेने से बच रहा है। बस इतना कहा गया कि मिशेल और दूसरे लोगों की बातचीत में ‘किसी बड़े आदमी’ जिसका नाम ‘आर’ से आता है, उसका ज़िक्र होता है।
- निदेशालय ने बताया कि मिशेल को इन लोगों के साथ आमने-सामने करने के बाद ही पता चलेगा कि यह ‘कौन बड़ा आदमी’ है और ‘आर’ से किसका नाम पड़ता है।
‘नेहरू-गाँधी का नाम लेने का दबाव’
भारत में ‘बड़ा आदमी’ जो प्रधानमंत्री बन सकता है और जिसका नाम ‘आर’ से है वह सिर्फ़ एक ही शख़्स है। इस शख़्स का नाम है ‘राहुल गांधी’। यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि मिशेल ने तक़रीबन एक साल पहले यह आरोप लगाया था कि भारतीय जाँच एजेंसियाँ उस पर दबाव डाल रही थी कि वह अगस्ता वेस्टलैंड में नेहरू-गांधी परिवार का नाम ले। उसने यह भी कहा था कि जाँच एजेंसियों ने उसे बीस पन्नों के काग़ज़ात दिए और उस पर हस्ताक्षर करने को कहा था। जब उसने देखा और पढ़ा तो उसे लगा कि उसने जो कहा या पूछताछ में जो बताया था वह उससे काफ़ी अलग था। लिहाज़ा उसने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।
मिशेल के भारत लाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हेलीकॉप्टर अगस्ता वेस्टलैंड घोटाले में दलाल मिशेल को सरकार भारत लेकर आई है। यह अब कुछ राजनेताओं के रहस्य उगलेगा। अब देखते हैं कि यह मामला कितना दूर जाएगा।’ जबकि बीजेपी ने कहा कि मिशेल के भारत आने से नेहरू गाँधी परिवार के लिये मुश्किल भरे होंगे।
मिशेल को जब प्रत्यर्पित करके भारत लाया जा रहा था तब भी उसकी वकील ने यह आरोप लगाया था कि लोकसभा चुनावों के संदर्भ में उसको भारत लाया जा रहा है। मिशेल के इन आरोपों को मोदी सरकार और बीजेपी ने बेबुनियाद करार दिया था।
अगस्ता वेस्टलैंड का पूरा घोटाला 3600 करोड़ का है और इसमें भारतीय वायुसेना के लिये नये 12 हेलिकॉप्टर ख़रीदे जाने थे। भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगने के बाद 2014 में इस ख़रीद सौदे को निरस्त कर दिया गया। इस मामले में वायु सेना के पूर्व प्रमुख एस. पी. त्यागी को गिरफ़्तार किया गया था। मोदी सरकार का आरोप है कि इस मामले में नेहरू-गाँधी परिवार की मिलीभगत से घोटाला हुआ। पटियाला हाउस में निदेशालय के बताने के बाद कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस नेता आर. पी. एन. सिंह ने कहा कि मिशेल पर लगातार यह दबाव डाला जा रहा है कि वह गाँधी परिवार का नाम ले। बीजेपी के लोग लगातार इस पटकथा पर काम कर रहें हैं।
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