अरबिंदो फार्मा के पी शरतचंद्र रेड्डी को लेकर एक और ऐसी रिपोर्ट आई है जिसमें थोड़ी अटपटी सी चीजें सामने आई हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ्तारी से 3 महीने पहले ईडी ने सरकारी गवाह की विदेश यात्रा पर आपत्ति की थी। इसने अदालत से कहा था कि वह 'मामले में सहयोग करने के लिए वापस नहीं आ सकते हैं'।
व्यवसायी शरत रेड्डी अरबिंदो फार्मा लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं। इसकी स्थापना उनके पिता पीवी राम प्रसाद रेड्डी ने की थी। उन्हें 10 नवंबर, 2022 को शराब घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था। न्यूज़लाउंड्री, स्क्रॉल और न्यूज़ मिनट ने एक साझा रिपोर्ट में कहा है कि उनकी कंपनी अरबिंदो फार्मा ने 15 नवंबर को 5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। इन सभी को 21 नवंबर, 2022 को भाजपा ने भुना लिया था।
शरत रेड्डी जून 2023 में दिल्ली उत्पाद शुल्क नीति मामले में सरकारी गवाह बन गए। नवंबर 2023 में अरबिंदो फार्मा ने भाजपा को 25 करोड़ रुपये और दिए। ईडी ने शरत पर दिल्ली में शराब लाइसेंसिंग प्रक्रिया में रिश्वत लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगाया। यह नीति 2021-22 में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा कुछ महीनों के लिए लागू की गई थी।
शरत और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता तेलुगु राज्यों के उन कई व्यक्तियों में से हैं जिन्हें ईडी ने अक्सर 'साउथ ग्रुप' कहा है। ईडी ने आरोप लगाया है कि साउथ ग्रुप के लोगों ने विजय नायर के माध्यम से आम आदमी पार्टी को लगभग 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। एजेंसी ने आरोप लगाया कि यह रकम दिल्ली में शराब कारोबार पर नियंत्रण हासिल करने के लिए दी गई थी और इस पैसे का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव के दौरान किया था।
रेड्डी को 10 नवंबर 2022 को गिरफ्तार किया गया था और 29 मई 2023 को विशेष जज एमके नागपाल की अदालत द्वारा सरकारी गवाह बनने की अनुमति मिली थी और उन्हें क्षमादान दे दिया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस साल 19 मार्च को नागपाल का तबादला कर दिया गया और एक दिन बाद मामले की कमान विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने संभाल ली।
अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार अदालत के रिकॉर्ड बताते हैं कि इस साल जनवरी में सरकारी गवाह बनने के छह महीने बाद और केजरीवाल की गिरफ्तारी से तीन महीने पहले, ईडी ने सरकारी गवाह के इरादों पर सवाल उठाया था। एजेंसी ने आशंका व्यक्त की थी कि यदि रेड्डी को विदेश यात्रा की अनुमति दी गई तो वह उसके मामले में सहयोग करने के लिए वापस नहीं आएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार ईडी ने 22 दिसंबर, 2023 को रेड्डी द्वारा दायर आवेदन पर विशेष अदालत में ये दलीलें दीं, जहां उसने विदेश यात्रा की अनुमति मांगने वाली उनकी याचिका का विरोध किया था। यह तर्क दिया गया कि यदि रेड्डी को अनुमति दी गई तो यह जाँच की प्रगति पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। अपने मामले को मजबूत करने के लिए ईडी ने दस्तावेज पेश किए कि क्षमा के बाद भी रेड्डी चल रही जांच में उपस्थित होने में विफल रहे और ईमेल के माध्यम से भेजे गए समन को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया।
बता दें कि रेड्डी ने उन्हें 21 दिनों (10 जनवरी से 31 जनवरी, 2024) के लिए फ्रांस और स्विट्जरलैंड की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए एक याचिका दायर की थी। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार रेड्डी की याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने तर्क दिया कि एक सरकारी गवाह के रूप में उत्पाद शुल्क मामले की जांच में किसी भी समय रेड्डी की उपस्थिति की ज़रूरत हो सकती है।
ईडी ने अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल किए थे, जिसमें बताया गया कि क्षमादान के बाद रेड्डी ईमेल के माध्यम से भेजे गए समन और आईओ द्वारा मांगी गई कुछ जानकारी के जवाब में जांच में शामिल होने में विफल रहे।
अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार हालाँकि, अदालत ने रेड्डी की याचिका को स्वीकार कर लिया और मोटे तौर पर तीन टिप्पणियाँ कीं।
सबसे पहले, इसमें कहा गया कि रेड्डी को 'केवल इसलिए माफ़ी दी गई क्योंकि उनकी याचिका ईडी द्वारा समर्थित थी'। और ईडी ने कहा था कि रेड्डी ने 'बाद की जांच में सहयोग किया था और कुछ तथ्यों का खुलासा किया था, जो आगे की जांच के लिए महत्वपूर्ण और प्रासंगिक थे'। अदालत ने रिकॉर्ड में रखा कि माफ़ी के बाद रेड्डी 'कुछ समन' के बाद भी ईडी के कार्यालय में उपस्थित नहीं हुए थे, लेकिन वह 'अगली तारीखों पर जांच में शामिल हुए थे'।
दूसरा, अदालत ने कहा कि विदेश यात्रा का अधिकार एक मूल्यवान अधिकार है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से आता है। तीसरा, अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश की ओर इशारा किया, जिसमें रेड्डी को जमानत देते समय कहा गया था कि उनके भागने का ख़तरा नहीं है।
अपनी राय बतायें