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ईडी: यूपीए शासन में 54%, एनडीए में 95% विपक्षी नेता निशाने पर 

जांच एजेंसी ईडी ने साल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से 121 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की है। इन 121 नेताओं में से 115 विपक्षी दलों के नेता हैं। इसका मतलब ईडी के निशाने पर 95 फीसद विपक्षी नेता रहे जबकि यूपीए सरकार के 2004 से 2014 यानी 10 साल के कार्यकाल में ईडी ने 26 राजनेताओं के खिलाफ जांच की थी और इसमें से 14 राजनेता विपक्षी दलों के थे। यह आंकड़ा 54 फीसद है। 

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने जांच पड़ताल के बाद ईडी की कार्रवाई को लेकर यह खबर प्रकाशित की है। 

अखबार की इस रिपोर्ट से पता चलता है कि मोदी सरकार के 8 साल के कार्यकाल में यूपीए सरकार के 10 सालों के शासन की तुलना में कहीं ज्यादा विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी ने कार्रवाई की है। 

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सीबीआई का भी यही हाल

द इंडियन एक्सप्रेस ने बीते दिन ही जांच एजेंसी सीबीआई को लेकर भी इस तरह की खबर प्रकाशित की थी। जिसमें यह कहा गया था कि यूपीए सरकार के 10 साल के शासन में यानी 2004 से 2014 तक अलग-अलग राजनीतिक दलों के 72 नेता सीबीआई के शिकंजे में आए। इसमें से 43 नेता विपक्षी दलों के थे। इस हिसाब से यह आंकड़ा 60 फीसद होता है लेकिन बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए की दूसरी सरकार के 2014 से अब तक यानी 8 साल के शासन में ही 124 नेताओं के खिलाफ सीबीआई ने कार्रवाई की है। इसमें से 118 नेता विपक्षी राजनीतिक दलों के हैं और यह आंकड़ा 95 फीसद है। 

अखबार की रिपोर्ट कहती है कि पिछले 18 सालों में जांच एजेंसी ईडी ने 147 राजनेताओं के खिलाफ जांच की और इसमें 85 फीसद से ज्यादा नेता विपक्षी दलों के थे।

सोनिया, राहुल से पूछताछ

याद दिलाना होगा कि जांच एजेंसी ईडी ने कुछ महीने पहले नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से लंबी पूछताछ की थी। इस पूछताछ के बाद कांग्रेस ने देशभर में जोरदार प्रदर्शन किया था और जांच एजेंसी पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था। कांग्रेस ने इस मामले में संसद के भीतर भी आवाज उठाई थी। 

पीएमएलए एक्ट 

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईडी के द्वारा की जा रही कार्रवाई में अधिकतर मामले प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए से संबंधित हैं। यह कानून यूपीए सरकार के शासनकाल में साल 2005 में आया था। जांच एजेंसी ईडी को इसके तहत किसी की गिरफ्तारी करने, संपत्तियों को जब्त करने जैसी कई ताकत हासिल हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल जुलाई में पीएमएलए के सभी कड़े प्रावधानों जिसमें जांच करना, तलाशी लेना, संपत्तियों की कुर्की करना, गिरफ्तार करना और जमानत आदि के प्रावधान हैं, इन्हें बरकरार रखा था। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई 

बहरहाल, द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, साल 2014 के बाद से कांग्रेस के 24, तृणमूल कांग्रेस के 19, एनसीपी के 11, शिवसेना के आठ, डीएमके के छह, बीजू जनता दल के छह, आरजेडी के पांच, बीएसपी के पांच, सपा के पांच, टीडीपी के पांच, आम आदमी पार्टी के तीन, इंडियन नेशनल लोकदल के तीन, वाईएसआर कांग्रेस के तीन, सीपीएम के दो नेशनल कांफ्रेंस के दो, पीडीपी के दो, एआईएडीएमके के एक, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के एक, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के एक और तेलंगाना राष्ट्र समिति के एक नेता के खिलाफ जांच एजेंसी ईडी ने कार्रवाई की है। 

अखबार के मुताबिक, यूपीए सरकार के 10 साल के शासनकाल में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, तीन मंत्रियों, तीन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई हुई और इसमें से किसी की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। 9 के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई और तीन नेताओं को दोषी पाया गया। जबकि एनडीए की दूसरी सरकार यानी मोदी सरकार के शासनकाल में एक मुख्यमंत्री, 14 पूर्व मुख्यमंत्रियों, 19 मंत्रियों, 24 सांसदों, 21 विधायकों, 11 पूर्व विधायकों और 7 पूर्व सांसदों के खिलाफ ईडी ने कार्रवाई की। इसमें से 19 नेताओं की गिरफ्तारी हुई और 32 के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। 

ED cases against Opposition leaders in Modi government  - Satya Hindi

हिमंता के खिलाफ जांच बंद?

अखबार की रिपोर्ट कहती है कि असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के खिलाफ जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी ने साल 2014 और 2015 में शारदा चिटफंड घोटाले के मामले में जांच की थी। उस वक्त सरमा कांग्रेस में थे। सीबीआई ने साल 2014 में उनके घर पर छापेमारी की थी और उनसे पूछताछ भी की थी लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही उनके खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 

इसी तरह तृणमूल कांग्रेस के नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय के खिलाफ भी जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में कार्रवाई की थी। शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय 2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे हालांकि मुकुल रॉय बाद में तृणमूल कांग्रेस में लौट आए थे। लेकिन इन दोनों के खिलाफ पिछले कुछ वक्त में जांच एजेंसियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है। 

ED cases against Opposition leaders in Modi government  - Satya Hindi

द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, ईडी ने साल 2019 की शुरुआत में टीडीपी के सांसद वाईएस चौधरी के ठिकानों पर छापे मारे थे। कुछ महीनों बाद चौधरी बीजेपी में शामिल हो गए थे। ईडी ने इस मामले में चौधरी के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। 

अखबार की रिपोर्ट कहती है कि जांच एजेंसी ईडी ने सोनिया व राहुल गांधी से पूछताछ करने के अलावा कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम, उनके बेटे व सांसद कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एयरसेल मैक्सिस मामले में कार्रवाई की और जांच के बाद चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ दो और मामले जिसमें आईएनएक्स मीडिया का मामला और वीजा के लिए रिश्वत दिलाने का मामला शामिल है, लाद दिए गए। 

ED cases against Opposition leaders in Modi government  - Satya Hindi

कांग्रेस नेताओं पर कार्रवाई 

अखबार के मुताबिक, एनडीए की दूसरी सरकार यानी मोदी सरकार के कार्यकाल में कांग्रेस के बड़े नेताओं के कम से कम 6 रिश्तेदारों के खिलाफ जांच एजेंसी ने कार्रवाई की। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह व गांधी परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच की गई। अमरिंदर सिंह अब बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। कैप्टन अमरिंदर के बेटे रणइंदर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में केस दर्ज हुआ था। 

इसके अलावा कांग्रेस नेताओं में कर्नाटक के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के दिवंगत सांसद अहमद पटेल के खिलाफ ईडी ने कार्रवाई की। 

गहलोत के भाई पर कार्रवाई

जुलाई 2020 में जब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत की थी तो उसी दौरान अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत के ठिकानों पर फर्टिलाइजर के मामले में छापेमारी की गई थी। लगभग उसी दौरान ईडी ने बीजेपी के नेता सुधांशु मित्तल के साले ललित गोयल के ईरियो ग्रुप के खिलाफ निवेशकों और घर खरीदारों को धोखा देने को लेकर मुकदमा दर्ज किया था। 

इन प्रमुख नेताओं पर एक्शन 

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्षी दलों तृणमूल कांग्रेस की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे व सांसद अभिषेक बनर्जी, एनसीपी के नेता शरद पवार, अजित पवार, अनिल देशमुख, नवाब मलिक और प्रफुल्ल पटेल, शिवसेना के नेता संजय राउत और अनिल परब, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ जांच एजेंसी ने कार्रवाई की।

इसके अलावा ईडी बीजेपी के 5 बड़े नेताओं जिसमें कर्नाटक में खनन के बड़े कारोबारी जी. जनार्दन रेड्डी, राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह शामिल हैं, के खिलाफ भी एजेंसी जांच कर रही है।
अखबार की रिपोर्ट कहती है कि यूपीए सरकार के शासनकाल में जांच एजेंसी ईडी ने कांग्रेस के नेताओं जैसे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण के खिलाफ आदर्श हाउसिंग मामले में, सुरेश कलमाडी के खिलाफ कॉमनवेल्थ गेम्स के मामले में, नवीन जिंदल के खिलाफ कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में कार्रवाई की। इसके अलावा यूपीए की सहयोगी डीएमके के ए. राजा और कनिमोझी के खिलाफ 2जी मामले में और दयानिधि मारन और कलानिधि मारन के खिलाफ एयरटेल मैक्सिस मामले में कार्रवाई हुई। 

जांच एजेंसी का बयान 

द इंडियन एक्सप्रेस के द्वारा विपक्षी नेताओं के खिलाफ ज्यादा कार्रवाई होने के सवाल का एजेंसी ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन एजेंसी के एक अफसर ने अखबार से कहा कि ईडी वह अंतिम एजेंसी है जिस पर आप राजनीतिक पूर्वाग्रह से काम करने का आरोप लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि ईडी खुद केस दर्ज नहीं कर सकती जब किसी नेता के खिलाफ राज्य की कोई पुलिस या कोई केंद्रीय एजेंसी मुकदमा दर्ज करती है तब ईडी मनी लॉन्ड्रिंग का मुकदमा दर्ज कर सकती है। 

उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी ईडी बीजेपी के कई नेताओं के खिलाफ भी जांच कर रही है। इसमें उन्होंने जी. जनार्दन रेड्डी का उदाहरण दिया। जांच एजेंसी के अफसर ने यह भी कहा कि ईडी पूरी पड़ताल के बाद ही मुकदमा दर्ज करती है और एजेंसी के द्वारा दायर की गई चार्जशीट अदालत के सामने हैं। उन्होंने कहा कि ईडी के द्वारा दर्ज किए गए मुकदमों में अभियुक्त जमानत नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि अदालत उनकी बेगुनाही को लेकर आश्वस्त नहीं है। 

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जांच एजेंसी के अफसर ने अखबार से कहा कि ईडी के द्वारा दर्ज किए गए मनी लॉन्ड्रिंग के 21 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है और 18 मामलों में अभियुक्त दोषी पाए गए हैं। इन 18 मामलों में 30 लोग दोषी साबित हुए हैं और उन्हें सजा भी हुई है। 

मोदी सरकार पर ईडी के साथ ही सीबीआई और इनकम टैक्स के दुरुपयोग को लेकर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं। विपक्षी राजनीतिक दल लगातार आरोप लगाते हैं कि इन एजेंसियों के द्वारा विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। आंकड़े इसकी तस्दीक करते हुए दिखते हैं। 

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क़मर वहीद नक़वी
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