चुनाव आयोग ने रविवार को चुनावी बॉन्ड की कुछ और जानकारी सार्वजनिक की है। यह वह जानकारी है जिसे राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग को सील कवर में जानकारी दी थी और जिसे आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिया था। समझा जाता है कि यह जानकारी 12 अप्रैल 2019 से पहले जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड से संबंधित थी। इससे पहले 2019 के बाद की जानकारी चुनाव आयोग ने पहले ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दी है। तो सवाल है कि आख़िर इस बार क्या जानकारी दी गई है? और क्या यह जानकारी किसी काम की है?
इन सवालों के जवाब से पहले यह जान लें कि चुनाव आयोग ने क्या कहा है। इसने एक बयान में कहा है कि राजनीतिक दलों ने सुप्रीम कोर्ट के 12 अप्रैल, 2019 के अंतरिम आदेश के निर्देशानुसार सीलबंद कवर में चुनावी बॉन्ड पर डेटा दाखिल किया था।
Sealed covers opened & info submitted by political parties to ECI on #ElectoralBonds is out. As anticipated, parties hv said they don’t have names of donors. See letters below. Voters still in dark about identity of purchasers of bonds worth 4,000 crore sold before April 12, 2019 https://t.co/Xgh9TNRpz2 pic.twitter.com/MXfON33zpw
— Anjali Bhardwaj (@AnjaliB_) March 17, 2024
बता दें कि चुनाव आयोग ने नई जानकारी का खुलासा 11 मार्च से अपने आदेश को संशोधित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करने के बाद किया है। 15 मार्च को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड संख्या का खुलासा नहीं करने और इस तरह अपने पिछले फ़ैसले का पूरी तरह से पालन नहीं करने के लिए एसबीआई की खिंचाई की थी।
चुनाव आयोग ने पहले ही अपनी वेबसाइट पर एसबीआई द्वारा साझा किए गए चुनावी बॉन्ड डेटा प्रकाशित कर दिया है। गुरुवार को जारी आंकड़ों में 12 अप्रैल, 2019 से 1,000 रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच कंपनियों और व्यक्तियों द्वारा चुनावी बॉन्ड की खरीद की जानकारी दिखायी गयी है। इसमें पार्टियों द्वारा भुनाए गए बॉन्डों का विवरण भी सामने आया। हालाँकि, इसमें यह नहीं दिखाया गया कि प्रत्येक पार्टी को किसी निश्चित कंपनी या व्यक्ति से कितना प्राप्त हुआ।
नए चुनावी बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग द्वारा आगामी लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद जारी किया गया है। चुनाव 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होंगे और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे।
इससे पहले 14 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी आख़िरकार चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सार्वजनिक की गई थी। राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए इसे बड़ा क़दम बताया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड की यह जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराई है। चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी दो सेट में है जिसमें से एक सेट में इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाले व्यक्तियों और कंपनियों के नाम हैं तो दूसरे सेट में जिन राजनीतिक दलों ने उन बॉन्ड को भुनाया है उसके नाम हैं। मौजूदा जानकारियों के सेट से यह पता नहीं चल पा रहा है कि चंदा खरीदने वाले किस शख्स या कंपनी ने किस राजनीतिक दल को और कितना चंदा दिया।
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