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बंगाल बीजेपी अध्यक्ष से पूछिए, कौन सी गाय माँ है और कौन सी गाय आंटी

बीजेपी में उल-जूलूल बयान देने वाले नेताओं की लिस्ट में एक नया नाम जुड़ गया है। यह नाम है बीजेपी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष का। घोष साहब ने गजब की बात कही है। पढ़ेंगे तो आप हंसकर लोट-पोट भी होंगे और गुस्सा भी आयेगा कि इस तरह के बयानों को देने का क्या मतलब है? आप यह भी ज़रूर सोचेंगे कि क्या ऐसे बयान देने की योग्यता के कारण ही उन्हें प्रदेश इकाई के अध्यक्ष पद पर चुना गया है।

दिलीप घोष पश्चिम बंगाल के बर्दवान में गोपाल अष्टमी कार्यक्रम में दिये अपने बयानों को लेकर विवादों में घिर गये हैं। घोष ने कहा, ‘जो लोग समाज के बौद्धिक वर्ग से संबंध रखते हैं और सड़क किनारे बीफ़ खाते हैं, वे गाय ही क्यों खाते हैं। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि वे कुत्ते का मांस भी खाएं। यह सेहत के लिये अच्छा होता है।’ घोष यहीं नहीं रुके और उन्होंने आगे कहा कि ऐसे लोग दूसरे पशुओं का भी मांस खाएं, कौन उन्हें रोक रहा है? लेकिन वे अपने घर पर खाएं। 

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घोष ने आगे कहा, ‘गाय हमारी माता है और हम गाय की हत्या को असामाजिक काम के रूप में देखते हैं।’ उन्होंने कहा कि हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई हमारी माँ की हत्या करे। विदेशी कुत्तों के मल को साफ करने को लेकर घोष ने कहा कि यह महा अपराध है। 

‘देसी गाय के दूध में सोना’ 

घोष ने कार्यक्रम में दावा किया कि देसी गाय के दूध में सोना होता है और इसीलिये इसका रंग सोने जैसा होता है। देसी और विदेशी गाय की तुलना करते हुए घोष ने यह भी ‘ज्ञान’ दिया कि कौन सी गाय को माँ कहना चाहिए और कौन सी गाय को आंटी। घोष ने कहा कि केवल देसी गाय ही हमारी माँ है जबकि विदेशी गाय आंटी जैसी हैं। घोष इससे पहले पुलिस कर्मियों को धमकी देने को लेकर भी विवादों में रहे हैं।  

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बीजेपी में घोष के अलावा कई और ऐसे नेता हैं जो इस तरह के उल-जूलूल बयान देते रहे हैं। इस साल जुलाई में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि कि गाय सांस लेते समय तो ऑक्सीजन लेती है ही, वह ऑक्सीजन छोड़ती भी है। रावत ने यह भी कहा था कि गाय को सहलाने से सांस से जुड़े रोग ठीक हो जाते हैं और गाय के पास रहने से टीबी ठीक हो जाती है।

कुछ महीने पहले भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने कहा था कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की मौत के पीछे विपक्ष का हाथ है और वह कोई ‘मारक शक्ति’ का उपयोग कर रहा है। इससे पहले प्रज्ञा ठाकुर अपने श्राप से शहीद एटीएस चीफ़ हेमंत करकरे की मौत होने का भी दावा कर चुकी हैं।
कुछ दिन पहले ही मध्य प्रदेश के बीजेपी नेता गोपाल भार्गव ने कहा था कि बच्चों के अंडा खाने से उनके नरभक्षी हो जाने का ख़तरा है। जबकि कमलनाथ सरकार ने कुपोषण से निजात दिलाने के लिये राज्य के आंगनबाड़ी स्कूलों में बच्चों को अंडा खिलाने का फ़ैसला किया है।

महाभारत युग में भी था इंटरनेट

त्रिपुरा की बीजेपी सरकार के मुख्यमंत्री बिप्लब देब भी अपने कई विवादित बयानों की वजह से चर्चा में रहे हैं। एक बार उन्होंने कहा था कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएँ उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। कुछ समय पहले उत्तर-प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने कहा था कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएँ पौराणिक काल में ही शुरू हुई थीं। 

अगस्त महीने में मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा था कि भारतीय शास्त्रों में गुरुत्वाकर्षण का जिक्र न्यूटन के बताने से भी पहले से है।

बीजेपी नेताओं के ऐसे बयानों की लंबी फेहरिस्त है। लेकिन यह समझ नहीं आता कि इस तरह के बयान वे क्यों देते हैं। बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी है, केंद्र में उनके नेतृत्व में एनडीए की सरकार चल रही है और कई राज्यों में वह सरकार चला रही है। लेकिन आख़िर वह ऐसे नेताओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करती जो इस तरह के उल-जूलूल बयान देते हैं। 

ऐसे नेताओं से क्या उम्मीद की जानी चाहिए कि वे युवा पीढ़ी को क्या सीख देंगे। अगर ऐसे लोग राज्य सरकार में या केंद्र में किसी अहम पद पर आयेंगे और वे इस तरह की उल-जूलूल बातों को करना जारी रखेंगे तो इससे हमारे देश की दुनिया के सामने क्या छवि बनेगी। निश्चित रूप से यह बेहद गंभीर बात है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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