आतंकवादी संगठन इसलामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया यानी आईएसआईएस से जुड़े लोग कहीं भी, कभी भी, किसी पर भी, किसी भी तरह हमला कर सकते हैं। यह ज़रूरी नहीं कि वे सीधे तौर पर इसलामिक स्टेट से जुड़े हों, यह भी ज़रूरी नहीं कि आईएस उन्हें निर्देशित कर रहा हो। इस तरह के हमले को लोन वुल्फ़ अटैक कहते हैं।
गृह मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को यह आगाह करते हुए एक चिट्ठी लिखी है और हाई अलर्ट जारी कर दिया है। चिट्ठी में कहा गया है कि अगले गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी तक 'अधिक जोखिम वाले लोगों' पर इस तरह के हमले हो सकते हैं। गृह मंत्रालय ने कहा है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर अभी भी ख़तरा मंडरा रहा है और पाकिस्तान से होने वाले आतंकवादी हमलों का ख़तरा बरक़रार है।
गृह मंत्रालय की चिट्ठी
इस नोट में गृह मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेन्सी आईएसआई इसलामिक स्टेट को पैसे और दूसरी तरह की मदद मुहैया करा रहा है। वह आईएस के अलावा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद की भी मदद कर रहा है।
इस नोट में कहा गया है, घरेलू आतंकवादी गुटों और पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठनों के बीच की सांठगांठ की वजह से आतंकवादियों को हथियार, टेक्नोलोजी और प्रशिक्षण मिलते हैं, जिससे ख़तरा बढ़ा हुआ है।
भारत की ख़ुफ़िया एजेन्सियों ने अनजान अनाम लोगों के द्वारा भेजे जा रही चिट्ठियों, संदेशों और सोशल मीडिया पर पोस्ट की जा रही अपमानजनक बातों को गंभीरता से लिया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे अधिक जोखिम वाले लोगों के बारे मे भी इस तरह की बातें कही जा रही हैं। दिल्ली में गणतंत्र दिवस के पहले इस तरह की सामग्री का पता लगाने के लिए उच्च स्तर के अलर्ट की ज़रूरत है।
गृह मंत्रालय ने इस नोट में यह भी कहा है :
“
इसलामिक स्टेट कुछ भारतीय युवकों को आकर्षित करने और उनमें कट्टरपंथी सोच भरने में कामयाब रहा है। यह विदेशों में बसे भारतीयों में इस तरह के विचार भरने और उन्हें भारत में आतंकवादी हमले करने के लिए उकसाने का काम कर सकता है। आईएस एक अकेले आदमी के हमले जिसे लोन वुल्फ़ अटैक कहते हैं, की अपील लोगों से की है।
गृह मंत्रालय के नोट का हिस्सा
ख़ुफ़िया एजेन्सियों का कहना है कि आईएसआई ने अपने लोगों को श्रीलंका और मालदीव तक पहुँचा दिया है। इन दोनों देशों से भारत की सीमा में दाखिल होना आसान है। कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने और अनुच्छेद 35 ए को ख़त्म करने के बाद से इस तरह के हमले की आशंका बढ़ गई है। एजेन्सियों का कहना है कि इन दोनों देशों से कट्टरपंथी सोच वाले लोग घुस कर कहीं भी कभी हमला कर सकते हैं।
ख़ुफ़िया एजेन्सियों का यह इनपुट ऐसे समय आया है जब कश्मीर के मुद्दे पर विश्व समुदाय को अपनी ओर करने में पाकिस्तान बुरी तरह नाकाम रहा है। यदि इस तरह का हमला हो गया तो पूरी दुनिया का ध्यान कश्मीर की ओर एक बार फिर जाएगा। यही पाकिस्तान चाहता है। इस ख़तरे की अनदेखी भारत नहीं कर सकता। सवाल यह है कि इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार क्या कर रही है।
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